नई दिल्ली। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में गुरुवार को पैरेंटल आउटरीच प्रोग्राम के तहत ‘पेरेंट्स संवाद’ कार्यक्रम को लॉन्च किया गया. इसका मकसद पेरेंट्स को स्कूलों से जोड़कर अपने बच्चों की शिक्षा में उनकी भागीदारी को बढ़ाना और बेहतर पेरेंटिंग के गुर सिखाना है. इस कार्यक्रम के जरिए पेरेंट्स और स्कूलों को आपस में जोड़ना है, ताकि दोनों के समावेश के साथ बच्चों को बेहतर शिक्षा के साथ-साथ बेहतर पेरेंटिंग भी मिल सके. स्कूल मित्रों की सहायता से पेरेंट्स को उनके बच्चों के साथ संवाद करना और एक बेहतर कम्युनिकेशन स्थापित कर पेरेंट्स को उनके बच्चों की पढ़ाई और वेल-बीइंग के प्रति जागरूक करना है.
इस कार्यक्रम के तहत 35000 से ज्यादा स्कूल मित्र और स्कूल मैनेजमेंट कमिटी मेंबर्स स्कूल और पैरेंट्स को जोड़ने को काम करेंगे, जिससे दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 18 लाख से ज्यादा बच्चे लाभान्वित होंगे. इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि ’पेरेंट्स संवाद’ कार्यक्रम दुनिया में अपनी तरह का अनूठा और सबसे बड़ा पैरेंट आउटरीच प्रोग्राम है. इस प्रोग्राम से 18 लाख बच्चों के पेरेंट्स स्कूल से सीधे वन- टू-वन मोड में जुड़ेंगे. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आज देश में पैरेंटिंग के पैटर्न पर काम करने की जरूरत है. आज तीन तरह की पैरेंटिंग हमारे बीच प्रचलित -जीरो पैरेंटिंग, ओवर पैरेंटिंग और मित्रवत पैरेटिंग. तीनों ही केस में बच्चे का नेचुरल ग्रोथ नहीं होता है.
‘पेरेंट्स संवाद’ कार्यक्रम पेरेंट्स और स्कूल के बीच संवाद को बढ़ाएगा, साथ ही पैरेंट्स को बच्चों के लिए उचित राह भी सुझाएगा. कोरोना महामारी के दौरान ये सवाल उठकर आया कि बच्चों की शिक्षा सही तरीके से कैसे हो पाएगी और ऑनलाइन शिक्षा में आने वाली बाधा को कैसे दूर किया जा सकता है? कैसे बच्चों को तनाव की स्थिति में सहयोग दिया जा सकता है और पैरेंट का सहयोग बच्चों की शिक्षा में किस तरह से बढ़ाया जा सकता है. पैरेंटल आउटरीच प्रोग्राम इसके हल कर रूप में सामने आया.

पैरेंटल आउटरीच की सफलता

पैरेंटल आउटरीच प्रोग्राम पायलट फेज में पूर्वी और दक्षिणी पूर्वी जिलों के 40 स्कूलों में शुरू किया गया. पायलट फेज काफी सफल रहा और इस दौरना ये देखने को मिला कि इस कार्यक्रम से अपने बच्चों की पढ़ाई में पेरेंट्स की सहभागिता बढ़ी. पेरेंट्स का स्कूल से जुड़ाव बढ़ा और स्कूल का दायरा विस्तृत हुआ. पायलट फेज के दौरान इस कार्यक्रम को काफी सफलता मिली और ये देखा गया कि स्कूलों से ड्रॉप आउट दर कम हुई और बच्चों की स्कूल में उपस्थिति भी बढ़ी.

आगे की योजना

1. पैरेंट संवाद कार्यक्रम में स्कूल मैनेजमेंट कमेटी में शामिल पेरेंट्स के अतिरिक्त और भी पेरेंट्स को स्कूल मित्र के तौर पर जोड़कर सभी पेरेंट्स के साथ संवाद किया जाएगा.

2. हर स्कूल मैनेजमेंट कमेटी सदस्य और स्कूल मित्र को उनके आसपास के 50-50 पेरेंट्स से जोड़ा जाएगा और ये महीने में एक बार DCPCR के द्वारा तैयार किए गए फ्री कॉलिंग सिस्टम के माध्यम से कॉल के माध्यम से पेरेंट्स से जुड़ेंगे.

3. एसएमसी मेंबर्स और स्कूल मित्रों को थीम बेस्ड ट्रेनिंग दी जाएगी और हर महीने की एक थीम के आधार पर वो बाकी पेरेंट्स के साथ पेरेंटिंग और पढ़ाई के बारे में संवाद करेंगे.

4. संवाद के दौरान पेरेंट्स को बताया जाएगा कि अपने बच्चे के साथ कैसे बात करें. ये कैसे जानें कि बच्चा क्या सीख रहा है, बच्चे को समय-समय पर क्या सपोर्ट दिया जाए.

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को पेरेंटिंग का असल मतलब नहीं पता. एक ओर हम पेरेंटिंग के नाम पर बच्चों के साथ बॉस जैसा व्यवहार करते हैं और सोचते हैं कि हमने जो तय किया है, बच्चा वही करेगा या दूसरी ओर पेरेंटिंग के नाम पर कुछ नहीं करते. ‘पेरेंट्स संवाद’ कार्यक्रम इस पद्धति को ख़त्म करने का काम करेगा. इस कार्यक्रम के माध्यम से स्कूल मित्र पेरेंट्स व स्कूल के बीच संवाद को बढ़ाने का काम करेंगे.

इस कार्यक्रम को त्यागराज स्टेडियम में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा लॉन्च किया गया. कार्यक्रम में कालका जी से विधायक आतिशी, DCPCR चेयरपर्सन, अनुराग कुंडू, प्रधान शिक्षा सचिव एच.राजेश प्रसाद, शिक्षा निदेशक, हिमांशु गुप्ता, प्रधान शिक्षा सलाहकार, शैलेन्द्र शर्मा सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे.