संदीप शर्मा, विदिशा। हजारों लोगों को नया जीवन देने वाले गोताखोर आज दर-दर की ठोकरे खा रहा है। फांका मस्ती में उनके दिन कट रहे हैं। देखा जाए तो वे आज भूखों मरने की कगार पर पहुंच गया है। उसे शासन-प्रशासन से किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं मिली है। वे बड़ी उम्मीद के साथ परिवार की महिला को लेकर कलेक्टर दफ्तर पहुंचा था। वहां भी मदद नहीं मिली तो नारेबाजी कर अपना विरोध जताया।
हम बात कर रहे हैं जिले के बहुचर्चित गोताखोर शिवचरण खंगार की। वे कलेक्ट्रेट में परिवार की एक महिला के साथ कलेक्टर के पास आर्थिक मदद की आस लेकर पहुंचा था। कलेक्टर ने सीधे तौर पर आर्थिक मदद में असमर्थता जाहिर की। जिस पर मौजूद शख्स ने उसे मिले राष्ट्रपति पुरस्कार और अन्य पुरस्कारों का हवाला देकर नाराजगी व्यक्त की। शिवचरण खंगार विदिशा के लॉन्ग मोहल्ला में रहते हंै और मूल रूप से गोताखोर का काम करता है।
उनका दावा है कि वह गंज बासौदा, विदिशा और भोपाल में कई हजार लोगों की जान बचा चुके हैं। आपदा प्रबंधन में उन्होंने लोगों की जान बचाई है। उन्हें प्रदेश सरकार और राष्ट्रपति की ओर से भी पुरस्कार मिले हैं। लेकिन आज जब उन्हें आवश्यकता पड़ी तब प्रशासन की ओर से कोई भी मदद नहीं मिल रही है। उनकी आर्थिक स्थिति बड़ी दयनीय हो गई है। भूखों मरने की नौबत आ गई है।
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