अनिल सक्सेना, रायसेन। सदियों पुरानी कहावत है कि नीम हकीम खतरा- ये- जान। (Neek Hakim Khatra-Yeh-Jaan) यह कहावत मध्यप्रदेश के रायसेन जिले (Raisen district) में चरितार्थ हुई है। गले की परेशानी (throat problem) से पीड़ित एक व्यक्ति को झोला छाप डॉक्टर (quack doctor) से इलाज कराना भारी पड़ गया। इंजेक्शन लगाने के तत्काल बाद पीड़ित ने क्लीनिक में ही दम तोड़ दिया।
जानकारी के अनुसार रायसेन जिले के बेगमगंज थाने के तहत सुनहरा गांव के रहनेवाला मृतक कारोला गांव इलाज कराने गया था। जहां झोला छाप डाक्टर द्वारा इंजेक्शन लगाए जाने के तुरंत बाद चक्कर खाकर गिर गया और उसकी मौत हो गई। इलाज के लिए मृतक की पत्नी वृंदावन भी साथ गई थी। बताया जाता है कि मृतक के गले में कुछ परेशानी थी जिसे देखकर डॉक्टर शंकर लोधी ने इंजेक्शन लगाया। डॉक्टर की ‘डिग्री क्या है, डिग्री की मान्यता है या नहीं’ गांव वालों को भी नहीं मालूम। उसे उपचार करने की अनुमित किसने दी आदि बातें जांच का विषय है।
इंजेक्शन लगाते ही वह बेहोश होकर गिर गया और वहीं पर उसकी मौत हो गई। मृतक के परिजनों ने डॉक्टर के खिलाफ पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। जानकारी हुकुम सिंह मृतक के बेटे ने दी। जितेंद्र सिंह जांच अधिकारी बेगमगंज थाने ने बताया कि मामले में मर्ग कायम कर पीएम के बाद शव परिजन को सौंप दिया है। शिकायत के आधार पर पुलिस मामले की जांच करेगी।
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