रोहित कश्यप/मुंगेली, सुशील सलाम/कांकेर, शैलेंद्र पाठक/बिलासपुर. प्रदेश में बारिश लगभग थम गई है. जहां कम बारिश हुई वहां किसानों की परेशाना बढ़ गई है. खेतों में धान की बालियां पूरी तरह नहीं निकली हैं. खेत सूख गए हैं. इस हालत में किसान अब नहरों से पानी मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं. लेकिन जल संसाधन विभाग की उदासीनता की वजह से किसान निराश है. विभाग सूखे की इस परिस्थिति से निपटने के लिए तैयारी नहीं है. इससे किसानों की उम्मीद टूट रही है.

आज मुंगेली के किसानों को सब्र का बांध टूट गया और कलेक्ट्रेट पहुंचकर जल संसाधन विभाग के बाहर धरना दे दिया. दूसरी खबर बिलासपुर से है. यहां के किसान खूंटाघाट बांध से पानी छोड़ने की मांग कर रहे हैं. क्षेत्र के किसान दो साल से चक्कर लगा रहे हैं लेकिन नहर का मरम्मत नहीं होने से पानी नहीं छोड़ा जा रहा है. तीसरी खबर कांकेर जिले की अंतागढ़ की है. यहां भी किसानों की फसल सूख रही है. किसान पानी की मांग को लेकर नहर की साफ-सफाई की. अधिकारियों को इसकी खबर ही नहीं है.

मुंगेली में किसानों का आंदोलन

सूखते फसल से चिंतित सैकड़ों किसान नहर में पानी छोड़ने की मांग को लेकर आज मुंगेली कलेक्ट्रेट पहुंचे. जहां आक्रोशित किसानों ने जल संसाधन विभाग का घेराव कर दिया और जमकर नारेबाजी की. इस प्रदर्शन में मुंगेली जिले के पथरिया इलाके के बरछा, गंधीरवाडीह, पुछेली, बैजना, गोइंद्रा, कोकड़ी, मझरेटा, कंचनपुर, जेवरा, खैरझिटी व टोनही चुवा गांव के सैकड़ों किसान पहुंचे थे. क्षेत्र के इन किसानों के खेतो में पानी नहीं होने से फसल पूरी तरह से सूख चुके हैं. इसके चलते किसानों को आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ा. प्रदर्शन के बाद एसडीएम ने किसानों की मांग मान लिया है.

बता दें कि खुड़िया बांध से डी-2  नहर में भी पानी सप्लाई पूरी तरह से बंद है. यही वजह है कि फसल बर्बाद को लेकर चिंतित सैकड़ों प्रभावित किसान आज मुंगेली कलेक्ट्रेट पहुंचे. नहर में पानी छोड़ने की मांग को लेकर नाराज किसानों ने मनियारी जलसंसाधन विभाग का घेराव कर दिया. इस दौरान नहर में पानी छोड़ने की मांग पर अड़े किसानों ने जल संसाधन विभाग के सामने बैठकर घंटों प्रदर्शन किया व विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. किसानों की प्रदर्शन की जानकारी मिलते ही सिटी कोतवाली प्रभारी आशीष अरोरा दल बल के साथ मौके पर पहुंच गया. विभागीय अधिकारियों व पुलिस की घंटों समझाइश के बाद किसानों ने प्रदर्शन समाप्त किया.

इस संबंध में एसडीएम अमित गुप्ता ने बताया कि खुड़िया बांध में फिलहाल 23 प्रतिशत पानी है, जो कि अन्य वर्षों की अपेक्षा काफी कम है. किसानों की फसल बर्बाद न हो इसे ध्यान में रखते हुए जल्द ही डी 2 नहर में पर्याप्त पानी छोड़ा जाएगा.

अंतागढ़ में किसानों ने पानी छोड़ने की मांग कर नहर की सफाई की 

सिंचाई विभाग की उदासीनता से क्षेत्र के किसान आक्रोशित है. अंतागढ़ ब्लॉक के माइनर में महीनों से पानी नहीं आ रहा है. विभागीय अधिकारियों से शिकायत करने के बाद भी किसानों को निराशा हाथ लगी है.

निराश किसानों ने आज नहर की साफ-सफाई की. किसानों का कहना है कि महीनों से माइनर में पानी नहीं आ रहा है. कई गांवों के किसानों ने जुटकर नहर की सफाई की है. किसानों का कहना है कि इस माइनर की सफाई कई सालों से नहीं कराई गई थी. इससे माइनर में घास  और जलीय झाडियां उग आई थी. कई बार शिकायत करने के बाद भी जब विभाग की ओर से नहर की साफ नहीं कराई गई तो किसानों ने नहर की सफाई कराई, ताकि पानी आने पर दिक्कत न हो. इसके बाद भी नहर में पानी नहीं छोड़ा गया है. नहर में पानी नहीं होने से किसानों की धान की फसल सूख रही है. किसानों ने जल्द पानी छोड़ने की मांग की है. इस संबंध में एसडीओ से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया.

बिसालपुर में पानी छोड़ने की मांग को लेकर भटक रहे हैं किसान 

बिसासपुर जिले के किसान बांध के पानी के लिए तरस रहे हैं. लेकिन जल संसाधन विभाग किसानों को दो साल से आश्वासन दे रहा है.  खूंटाघाट बांध का मरम्मत नहीं हुआ है. इसी का हवाला देकर किसानों को नहर से पानी नहीं दे रहा है. अन्नदाता को पानी के अभाव में फसल बर्बाद होते दिख रही है. यहां के किसान दो साल से सिंचाई विभाग का चक्कर लगा रहे हैं. सिंचाई विभाग के अधिकारियों को मुख्यमंत्री रमन सिंह के फरमान की चिंता नहीं है.

इस संबंध में ईई जल संसाधन विभाग आरपी साव ने कहा कि पानी की मांग को लेकर किसान आए थे. पानी छोड़ रहे हैं, कही सीपेज की शिकायत हो सकती है. किसानों की ज्यादा डिमांड है फिर भी पानी छोड़ रहे हैं.

बता दें कि कुछ दिन पहले रमन सिंह ने किसानों को रबी के लिए पानी देने की घोषणा की थी, लेकिन किसानों को खरीफ फसल के लिए पानी नहीं मिल रहा है. किसान गणेशराम ने बताया कि पानी के लिए विभाग का कई चक्कर लगा चुके हैं. अधिकारी सिर्फ आश्वासन देकर भगा दे रहे हैं. दो साल में नहर का मरम्मत तक नहीं पाया है.