Kapil Sharma Kaps Cafe: कनाडा स्थित कपिल शर्मा के कैप्स कैफे रेस्टोरेंट पर 9 जुलाई, 2025 बुधवार को खालिस्तानी आतंकी लाडी उर्फ हरजीत सिंह लाडी ने फायरिंग की गई थी। दरअसल, लाडी और उसके संगठन का मानना है कि कपिल शर्मा ने अपने शो में एक निहंग सिख का मजाक उड़ाया था। जिसकी वजह से उसने यह कदम उठाया था। बता दें कि यह टेलीविजन पर आने वाला ‘द कपिल शर्मा शो’ के दौरान हुई घटना है। निहंग सिख एक धार्मिक समुदाय है, जो सिखों के 10वें गुरु ‘गुरु गोबिंद सिंह जी’ के मार्ग पर चलने वाले निडर योद्धा होते हैं।
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लाडी ने कहा- धार्मिक परंपराओं का अपमान नहीं सहेंगे
दरअसल, गैंगस्टर हरजीत सिंह लाडी का मानना है कि कपिल शर्मा ने शो के दौरान आए एक निहंग सिख का मजाक उड़ाया था। इसके बाद लाडी ने कई बार कपिल शर्मा के मैनेजर से संपर्क करने की कोशिश की थी, कई बार कॉल लगाए गए मगर कोई जवाब नहीं आया। इसके बाद फायरिंग की गई थी। लाडी का कहना है कि धार्मिक परंपराओं का अपमान सही नहीं है।
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कौन होते हैं निहंग सिख?
निहंग सिख सिख धर्म की रक्षा करने वाले योद्धा समुदाय के लोग होते हैं। ये लोग गुरु गोबिंद सिंह जी, जो सिखों के 10वें गुरु थे, उनके द्वारा स्थापित खालसा पंथ है। इनका काम सिख धर्म, गुरुद्वारों और समाज की रक्षा करना है। सिख धर्म को जिंदा रखने में भी इनकी अहम भूमिका होती है। इन्हें अकाल सेना यानी ईश्वर की सेना से भी जाना जाता है।
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निहंगों की जीवनशैली और पहचान
निहंगों की जीवनशैली सरल और नियमों से भरी होती है। इन्हें एक अनुशासित दिनचर्या अपनानी होती है। ये लोग अधिकांश गुरुद्वारों और जंगलों में मिलते हैं। दरअसल, यहीं उनका घर होता है। निहंगों सादे नीले रंग के कपड़े पहनते हैं और कुछ समुदायों के निहंग केसरिया रंग की पगड़ी भी पहनते हैं। इनकी वेशभूषा में तलवार, कृपाण, भाला और कई प्रकार के पारंपरिक हथियार शामिल होते हैं। ये लोग अमृतधारा (पांच ककारों का पालन करने वाले) होते हैं और अपने अनुशासन और मर्यादा के लिए प्रसिद्ध होते हैं।
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कब बना निहंग सिख समुदाय?
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, निहंग सिखों के समुदाय की शुरुआत 1699 ईस्वी में खालसा पंथ के नाम से हुई थी। इस साल बैसाखी के दिन आनंदपुर साहिब में गुरु गोबिंद सिंह जी ने अमृत संचार देकर इस समुदाय को संगठित किया था। ये ऐसे सिखों की सेना होती है, जो योद्धा वर्ग के हैं। इनका प्रमुख काम अपने धर्म की रक्षा के साथ न्याय की रक्षा करना है।
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धार्मिक मान्यताएं क्या है?
निहंगी सेना की धार्मिक भावना बहुत गहरी और प्रभावी होती है। ये लोग सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी को अपना मार्गदर्शक मानते हैं। “चढ़दी कला” (उत्साही भावना), “वाहेगुरु” का सिमरन (जप) और धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर करने के लिए तैयार होते हैं।
ये लोग अकाल तख्त साहिब के आदेश को सर्वोपरि मानते हैं और धार्मिक पर्व जैसे होला मोहल्ला पर युद्ध कौशल का प्रदर्शन करते हैं। उनका उद्देश्य केवल लड़ाई नहीं बल्कि ‘धरम दी रख्या’ (धर्म की रक्षा) करना भी होता है। इसके अंतर्गत जो भी सिख धर्म, गुरु ग्रंथ साहिब या उनके धार्मिक प्रतीकों का अपमान करता है, निहंग उसके विरोध में खड़े होते हैं।
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निहंगों ने देश के लिए भी की है मुगलो से लड़ाई
निहंगी सेना की स्थापना के बाद उन्होंने अपने धर्म और देश की सेवा में भूमिका अदा की है। इन्होंने 18वीं सदी में अफगानों और मुगलों के खिलाफ होने वाली जंगों में हिस्सा लिया था। मुगलों का अत्याचार बढ़ने पर निहंगों ने गुरिल्ला युद्ध शैली में डटकर मुकाबला किया था।
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