कुंदन कुमार/पटना: बिहार सरकार भारत सरकार की सहयोग से लगातार इंडो-नेपाल बॉर्डर को जोड़ने वाली एक सड़क बना रही है. यह सड़क 450 किलोमीटर लंबी है, जो बिहार से सटे हुए नेपाल बॉर्डर को जोड़ती है. इसमें मुख्य रूप से पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज को जोड़ा जाएगा और इस सड़क परियोजना का निर्माण अंतिम चरण में है. 

सड़क लगभग 80% तक बनकर तैयार 

पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने बताया कि इस साल दिसंबर तक इसे पूरा करने का लक्ष्य है. यह सड़क पश्चिम चंपारण के मदनपुर से शुरू होकर किशनगंज के गलगलिया होते हुए सिलीगुड़ी तक जाएगी. इस महत्वपूर्ण केंद्रीय परियोजना का निर्माण 2486.22 करोड़ की लागत से किया जा रहा है और यह सड़क लगभग 80% तक बनकर तैयार हो गया है. दिसंबर महीने तक यह सड़क पूरी तरह से बन जाएगी. 

कुल 729 किलोमीटर लंबी सीमा

मुख्य रूप से एसएसबी की चौकियों को सड़क मार्ग से जोड़ने के उद्देश्य से ही इस सड़क का निर्माण किया जा रहा है. यह सड़क बिहार से सटे नेपाल बॉर्डर को सीधे-सीधे जोड़ेगी, जिससे की सीमा सुरक्षा बल को कहीं भी किसी भी तरह का दिक्कत नहीं हो. दरअसल, भारत नेपाल के कुल 729 किलोमीटर लंबी सीमा में से बिहार को 554 किलोमीटर की सीमा इस सड़क परियोजना के दायरे में है.

सीधा होगा सड़क संपर्क मार्ग 

आपको बता दें कि केंद्र सरकार चा रही है कि यह सड़क जल्द से जल्द बनकर तैयार हो, जिससे कि सड़क सीमा सुरक्षा बल के चौकियों तक तेज और सुरक्षित पहुंच सुनिश्चित हो जाए. अवैध घुसपैठ और तस्करी पर सख्त नियंत्रण का माध्यम  यह सड़क बने. सीमावर्ती क्षेत्र के लाखों लोगों के लिए व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और कृषि उत्पादों के लिए सुगम सुरक्षित और सीधा सड़क संपर्क मार्ग होगा. 

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