रोहित कश्यप, मुंगेली। मुंगेली जिले में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना अधिकारियों और ठेकेदारों के लिए कमाई का जरिया बन गया है, यह बात हम नहीं, बल्कि ग्रामीण कह रहे हैं. दरअसल, ग्रामीण क्षेत्रों को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाई गई सड़क पहली ही बारिश में उधड़ने लगी है. इसे भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ में भारी बारिश की संभावना, मौसम विभाग ने 21 जिलों के लिए जारी किया अलर्ट

मुंगेली जिले में पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत T07 यानी मुंगेली-पंडरिया मुख्य मार्ग से गोपातपुर तक सड़क संधारण कार्य चल रहा है. लगभग 1300 मीटर के इस कार्य की शुरुआत जुलाई 2023 में की गई थी, जिसे अप्रेल 2024 तक पूर्ण करना था. ग्रामीणों ने बताया कि मेकडम मेकर्स द्वारा 37 लाख 42 हजार रुपए की लागत से बनाए गए सड़क की गुणवत्ता से समझौता हुआ है.

गड्ढों में तब्दील हो गया सड़क

स्थानीय लोगों कि माने तो सड़क संधारण में शुरू से ही मानकों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई, जिसका नतीजा रहा कि निर्माण होते-होते ही सड़क अपनी स्थिति बयां कर रही है. सड़क कहीं पूरी तरह से उखड़ गई है, तो कहीं बीच-बीच में गड्ढे देखे जा सकते हैं. ग्रामीणों ने सड़क निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी पर कई बार आवाज बुलंद करने की कोशिश की गई, लेकिन उनके विरोध को दरकिनार कर दिया, जिसका नतीजा सामने है. सड़क पूरी तरह जर्जर हो गई है. जगह-जगह विकराल गड्ढे दुर्घटना को निमंत्रण दे रहे है.

गुणवत्ता से समझौता ?

ग्रामीण बताते हैं कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से बनाए गए सड़क पर मानक को ताक में रखकर ठेकेदार मनमाने तरीके से निर्माण कराया है. पहली बारिश में सड़क के ऐसे हालात है तो आगे क्या स्थिति होगी. इस खराब रोड की वजह से गांव से मुख्य सड़क मार्ग आना-जाना मुश्किल हो जाता है. यह मामला गंभीर विषय है जिसे जिम्मेदारों को संज्ञान लेना चाहिए.

अधिकारी का यह है जवाब

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के प्रभारी कार्यपालन अभियंता बीएल सिंहस्त्रे ने मामले को लेकर बताया कि कार्य प्रगतिरत है. ठेकेदार को भुगतान नहीं किया गया है. कार्य में अगर लापरवाही की गई है तो इसकी जांच करवाकर इसपर कार्रवाई की जाएगी.

गुणवत्तापूर्ण सड़क बनाने का दावा हवा हवाई?

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से बने सड़कों के रख रखाव व दुरुस्तीकरण का जिम्मा पांच वर्ष तक कार्यदायी संस्था का होता है. गौर करने वाली बात यह है कि मार्ग पर लगे बोर्ड पर मानक व लागत का उल्ल्लेख तो किया गया है, पर उसके अनुरूप बन रहा है यह जांच होने पर स्पष्ट हो सकेगा. लाखों की लागत से बन रही सड़क 15 दिनों में ही उखड़ गई है, जो मानकों पर सवाल खड़ा करता है. वैसे प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़त योजना विभाग गुणवत्ता युक्त सड़क बनाने की बात करती है, लेकिन धरातल पर गुणवत्ता हवा हवाई क्यों हो जाती है.