रायपुर। दशहरे को गुजरे हुए 2 दिन बीत गए हैं, बावजूद इसके माता रानी के विसर्जन का दौर जारी है. इससे आम जमता को बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है. एक तो यह कानफाड़ू डीजे और दूसरा सड़कों पर इतना जाम लगा हुआ है कि लोगों का निकलना मुश्किल हो रहा है. मान्यता तो यह भी है कि दशहरे के दिन के बाद विसर्जन नहीं किया जाता है. लेकिन लोगों को इसका भी कोई ध्यान नहीं है. हैरानी की बात तो यह है कि डीजे की यह गूंज कलेक्टर साहब को सुनाई नहीं दे रही है. ऐसा लग रहा है कि पूरा प्रशासन बहरा हो गया है.

दरअसल, रायपुर में कानफाड़ू डीजे और धमाल से लोग परेशान हैं. दुर्गा विसर्जन में खुलेआम जिला प्रशासन के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है. देर रात तक डीजे और धमाल बजाया जा रहा है, लेकिन लगता है कि गणेश विसर्जन की तरह दुर्गा विसर्जन में भी रायपुर कलेक्टर को शिकायत का इंतजार है.

तेज आवाज का डीजे पर्यावरण प्रदूषण का हिस्सा है. इससे न केवल मनुष्य बल्कि पशु-पक्षी प्रभावित होते हैं. डीजे से लोगों में बीपी शुगर, डिप्रेशन देखने को मिलता है. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित बुजुर्ग हो सकते हैं. डीजे की वजह से उनमें किसी भी प्रकार के दूषपरिणाम सामने आ सकते हैं. यही कारण है कि आईएमए राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षित ध्वनि के लिए अभियान चला रही है.

मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा 9 दिनों के लिए अपने मायके आती हैं और 10वें दिन यानि दशहरे वाले दिन मायके से विदा लेती हैं. इन 10 दिनों को दुर्गा उत्सव के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. 10वें दिन मां अपने घर वापस चली जाती हैं. इसलिए दशहरे के बाद विसर्जन नहीं किया जाता है. लेकिन लोग ऐसा कर रहे हैं.