शिवा यादव,दोरनापाल. कहते हैं नक्सली बीहड़ के भीतर में बिसलरी का पानी पीते हैं. लेकिन नक्सली असल में इन दिनों भूखमरी की समस्या से जुझ रहे हैं. ये खुालासा नक्सलियों के ही गुप्त पत्र से हुआ है. जी हां सुकमा पुलिस को मिले गुप्त पत्र में पता चला है कि नक्सली इन दिनों राशन की चुनौती का सामना कर रहे हैं. माओवादियों के पास खान-पीने का समान नहीं और वह इसके लिए गांव वालों से मदद मांग रहे हैं.
नक्सलियों के एक डिप्टी कमांडर दूसरे डिप्टी कमांडर को पत्र लिखकर बताते हैं कि उनके बटालियन के पास राशन नहीं है. चावल की कमी को तत्काल दूर करे. इसके साथ ही अब अंदर तक पुलिस सर्चिंग पार्टी से भी अब यहां रहना मुश्किल हो रहा है. इसके लिए अलावा भी गुप्त पत्र में कुछ और भी गुप्त बातें है जिसे फिलहाल पुलिस ने गुप्त ही रखा है.
सुकमा एसपी अभिषेक मीणा ने कहा कि कल डीआरजी-एसटीएफ का नक्सलियों के साथ एनकाउंटर हुआ था. वहां नक्सलियों के कुछ दस्तावेज मिले थे, जो बटालियन से संबंधित थे. उस दस्तावेज में इस बात का जिक्र किया गया है कि राशन पानी खत्म हो गया है. खाने के लिए चावल नहीं है. पत्र के जरिए गांव वालों से चावल की व्यवस्था कर भिजवाने की बात कही गई थी, जिससे बटालियन के खाने-पीने की व्यवस्था की जा सके. इस बात से यह स्पष्ट होता है कि पुलिस की जो सक्रियता थी. पुलिस ने जिस तरह से नक्सलियों की सप्लाई लाइन काटी है, इससे उन पर बुरा असर पड़ा है. स्थिति यह है कि उनके पास खाने के सामान तक नहीं हैं.
हालांकि नक्सलियों के गुप्त पत्र को पुलिस ने सार्वजनिक नहीं किया है. लेकिन बताया यही जा रहा है कि पुलिस को नक्सलियों के संबंध कुछ और भी पुख्ता इनपुट इस पत्र के जरिए मिले हैं. लेकिन इन सबके बीच एक सवाल भी बना हुआ है कि क्या नक्सली वाकई राशन की समस्या से जुझ रहे हैं ? क्या हाईटेक हथियारों से लैस और जंगल के भीतर में लाल आतंक की सत्ता चलाने वाले आज भूखमरी के शिकार हो गए हैं ? अगर वाकई ये स्थिति आज नक्सलियों की आन पड़ी है तो ये कहना भी गलत नहीं होगा कि सर्वाधिक नक्सल प्रभावित इलाका सुकमा अब इस समस्या से मुक्ति की ओर रहा है.