डाइट में रोजाना गेहूं-चावल का सेवन करने से पेट तो भर जाता है, लेकिन पोषण की आपूर्ति नहीं हो पाती. यही वजह है कि ज्वार, बाजरा, रागी से लेकर कंगनी, कोदो, चीना, सांवा और कुटकी आदि को डाइट में शामिल करने की सलाह दी जा रही है. मोटे अनाज आज देश की खाद्य और पोषण सुरक्षा में अहम योगदान दे रहे हैं. इस साल को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 घोषित किया है. भारत को मोटे अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादक देश कहा जाता है.
ये आठ अनाज में छुपा है सेहत का राज
अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 का उद्देश्य मिलेट की खपत को बढ़ाकर पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है. इसके लिए 8 मिलेट्स के चिन्हित किया गया है, जिसमें ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, कुटकी, कंगनी, चेना, सांवा आदि शामिल हैं. इसका सेवन करने से शरीर को वो सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं, जो साधारण खान-पान से मुमकिन नहीं है. यही वजह है कि अब बेहतर स्वास्थ्य के लिए चिकित्सक भी डाइट में 15 से 20 प्रतिशत मिलेट को शामिल करने की सलाह दे रहे हैं. Read More – Cheese के बहुत ज्यादा सेवन से बचें, नहीं तो हो जाएंगे इस बीमारियों का शिकार …
कैसे पहचानें अनाज छोटा है या मोटा
देश में मिलेट के उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा दिया जा रहा है. मिलेट में छोटा अनाज और मोटा अनाज दोनों शामिल होते हैं. इन्हें पहाड़ी, तटीय, वर्षा, सूखा आदि इलाकों में बेहद कम संसाधनों में ही उगाया जा सकता है. मिलेट को साइज के आधार पर दो श्रेणियों में बांटा गया है. एक छोटा अनाज और एक मोटा अनाज. मोटा अनाज में ज्वार, बाजरा और रागी आते हैं. Read More – कैमरे के सामने फूट पड़ी राखी सावंत, कहा- मेरी कब्र में भी आओगे क्या …
रिसर्च बताती है असरदार है मिलेट
कई रिसर्च में दावा किया गया है कि मिलेट का कुछ मात्रा में नियमित सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है और तमाम बीमारियों के खतरों को भी दूर किया जा सकता है, जो साधारण अनाज से मुमकिन नहीं है. बाजरा, ज्वार ओर रोगी में 2 से 4 प्रतिशत फाइबर पाया जाता है. कोदा कुटकी सांवा कंगनी और छोटी कंगनी में 8 से 12 प्रतिशत फाइबर पाया जाता है. छोटे अनाजों में कुटकी, कांगनी, कोदो, सांवा हैं, जो कैल्शियम, आयरन, फाइबर समेत कई न्यूट्रिएंट्स का अच्छा सोर्स हैं.
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