चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल से नाराज चल रहे बागी अकाली नेताओं ने एक बार फिर से प्रधान पद को लेकर बहस छेड़ दी है। पंजाब में विधानसभा चुनावों को नजदीक देखते हुए बागी अकाली नेताओं ने शिरोमणि अकाली दल के साथ एक होने की बात तो कही है, साथ ही यह भी शर्त रख दी है कि नए प्रधान की नियुक्ति की शर्त मानी जाएगी तब ही सभी अकाली नेता एक हो सकते हैं।

जबकि दूसरी तरफ शिरोमणि अकाली दल ने साफ कर दिया है कि सुखबीर सिंह बादल के सिवाए वह किसी अन्य को प्रधान के तौर पर स्वीकार नहीं करेंगे। 5 साल से पहले प्रधान पद का चयन नहीं किया जाएगा। सुखबीर बादल के नेतृत्व में अगर कोई शिरोमणि अकाली दल के साथ मिलना चाहता है तो उसका स्वागत है परंतु शर्तों के आधार पर एकता संभव नहीं है।

अकाली दल में इस बहस को वरिष्ठ अकाली नेता प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा के बयान से मिली है।

चंदूमाजरा ने वीरवार को लहरागागा में दिए भाषण में कहा है कि श्री अकाली तख्त साहिब द्वारा 2 दिसम्बर को बीते साल जारी किए गए हुक्मनामे के मुताबिक अकाली दल में फिर से एकता हो सकती है।

चंदूमाजरा ने कहा कि उनकी किसी के साथ भी दुश्मनी नहीं है। प्रेम सिंह चंदूमाजरा के बयान पर हालांकि शिरोमणि अकाली दल ने भी चंदूमाजरा के बयान का समर्थन किया है कि सभी का एक होना जरूरी है क्योंकि पंजाब के हालात बिगड़ रहे हैं। एक होकर ही पंजाब को बचाया जा सकता है। परंतु उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि एकता बगैर किसी शर्त के ही संभव हो सकती है।

ध्यान रहे शिरोमणि अकाली दल के दोफाड़ होने की वजह भी अकाली दल के नेतृत्व में बदलाव की मांग थी। अकाली दल से नाराज बागी अकाली नेता सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में बदलाव की मांग कर रहे थे और झुंदा समिति की सिफारिशों को मानने के लिए कह रहे थे परंतु जब अकाली दल ने अकाली नेताओं की इस मांग को अस्वीकार कर दिया।