वेंकटेश द्विवेदी,सतना। मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती हैं। इस कहावत को चरितार्थ किया है मध्यप्रदेश के सतना जिले के अमरपाटन के एक गरीब परिवार के बेटे शिवाकांत कुशवाहा ने। गौतम बुद्ध के विचारों का अनुसरण करने वाले गरीब किसान का बेटा परिवारिक आर्थिक जिम्मेदारी के साथ साथ अपने सपने को जिंदा रखा। सेल्फ स्टाडी के दम पर सपने को साकार कर सिविल जज में ओबीसी वर्ग में पूरे प्रदेश में दूसरी रैंक हासिल किया है। उन्होंने साबित कर दिया कि प्रतिभा किसी के मोहताज नहीं होती। जीवन में कुछ बनने के लिए कर गुजरने का जज्बा, धैर्य और कड़ी मेहनत हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

सिविल जज परिणाम ओबीसी वर्ग में द्वितीय स्थान पाने वाले सतना जिले के अमरपाटन के शिवाकांत इसके पहले चार बार सिविल जज की परीक्षा में बैठे थे। पांचवी और आखिरी बार सफलता हाथ लगी। इस बार घोषित परीक्षा परिणाम में ओबीसी वर्ग से प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। उन्होंने बताया कि घर की हालत अच्छी नहीं थी। माता पिता मजदूरी कर और सब्जी बेचते। उसी पैसे से घर में चूल्हे जलते थे। शिवाकांत की मां शकुन का कैंसर से वर्ष 2013 में निधन हो गया।

उन्होंने यह उपलब्धि मां को समर्पित किया है। तीन भाई एक बहन में शिवाकांत कुशवाहा दूसरे नंबर का है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा और हायर सेकंडरी की सरदार पटेल स्कूल अमरपाटन से एवं कॉलेज की पढ़ाई अमरपाटन शासकीय कॉलेज से की। उसके बाद का रीवा के टीआरएस कॉलेज (ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय) से LLB करने के बाद कोर्ट में प्रैक्टिस के साथ-साथ सिविल जज की तैयारी की। उनकी पत्नी मधु प्राइवेट स्कूल में टीचर है।

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