रायपुर. मंगलवार को विधानसभा में सदन की कार्यवाही शुरू हो गई है. यहां दिवंगत नेताओं की श्रद्धांजलि से कार्यवाही शुरु की गई. जिसमें पूर्व राज्यपाल बलरामदास टंडन, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी, पूर्व मंत्री रामचंद्र सिंहदेव को सदन ने श्रद्धांजलि दी.

इस दौरान स्पीकर गौरीशंकर अग्रवाल ने कहा- कि एक अभिभावक के तौर पर मुझे हमेशा बलरामदास टंडन का हमेशा मार्गदर्शन मिला, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने दुनियाभर में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई.

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना शुरू की देश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लाखों लोगों को सड़क के जरिये विकास से जोड़ा उन्होंने कहा कि 50 साल सांसद रहने का रिकॉर्ड रहा है, अटल जी ऐसे नेता थे जिनके विरोधी भी उनकी तारीफ करते थे. नए राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ की जनता को बड़ी सौगात दी, जिसे छत्तीसगढ़ की जनता हमेशा याद रखेगी. देश ने उनके निधन से सर्वमान्य नेता खो दिया है. श्री अग्रवाल ने कहा कि लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी जी के निधन से देश ने वरिष्ठ अनुभवी नेता खो दिया है.

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने ये कहा

इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि पूर्व राज्यपाल स्व बलरामदास टंडन 92 साल की उम्र में से 65 साल सार्वजनिक जीवन में अलग अलग भूमिका निभाई. पार्षद, विधायक के रूप में सालों तक काम किया. चुनौती का सामना करने का व्यक्तित्व रहा है. उन्होंने कहा पंजाब में चुनौती थी कि लोकसभा का चुनाव कौन लड़ सकता है. आतंकवाद से ग्रस्त पंजाब में लगातार उन पर हमला हुआ लेकिन घबराए नहीं. आतंकवाद से पीड़ित परिवारों को सहायता में अहम भूमिका निभाई. डॉ सिंह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माता रहे उनके निधन से मैं विचलित हूं. उनके निधन से राजनीति के एक अध्याय का अंत हुआ है. राजनीतिक के क्षेत्र में 55 साल तक लोकप्रियता के ग्राफ को बनाकर रखे दुनिया मे ऐसा कोई दूसरा नेता नहीं रह होगा. तीन बार प्रधानमंत्री रहकर देश को नई दिशा दी. उनके निधन से लगता है कि हमने राज्य के निर्माता को खो दिया.

1998 में एक सभा में राज्य निर्माण की घोषणा जब उन्होंने की थी तब लगा था कि क्या ये चुनावी भाषण है लेकिन उन्होंने अपना वादा पूरा किया.  राज्य निर्माण के बाद यहां आए अटल जी ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माता मैं नहीं बल्कि यहां की जनता है. राज्य बनने का क्रेडिट तक उन्होंने यहां की जनता को दी. मुझे उनके साथ केंद्र में मंत्री रहने का अवसर मिला. उन्होंने कहा ये मेरे जीवन का अमूल्य क्षण था, मुझे उनसे काफी कुछ सीखने का मौका मिला. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, सर्व शिक्षा अभियान जैसे पहल देश को विकास की दिशा में आगे बढ़ाने वाली साबित हुई. उनके निधन के बाद हमने अटल जी की प्रतिमा सभी जिलों में लगाने का फैसला लिया है, उनकी जीवनी बोर्ड पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है. नया रायपुर का नामकरण अटल नगर के रूप में किया है. छत्तीसगढ़ सशस्त्र बटालियन का नामकरण पोखरण बटालियन करने का निर्णय लिया है. इससे उनकी स्मृतियां चिरस्थाई बनाने की पहल कर रहे हैं. पूर्व मंत्री रामचंद्र सिंहदेव ने सादगी और जनता सेवा को अपना लक्ष्य बनाया. राजपरिवार से ताल्लुक रखते थे लेकिन जमीन से जुड़े नेता थे. छत्तीसगढ़ की जनता उन्हें हमेशा याद रखेगी. छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की सिंचाई योजना में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. कोई ऐसा महीना जाता था जब छत्तीसगढ़ के विकास को लेकर उनका सुझाव नहीं मिलता रहा हो. हमने एक संवेदनशील नेता खो दिया है.  लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी को भी सीएम ने दी श्रद्धांजलि.

नेता प्रतिपक्ष ने ये कहा

नेता प्रतिपक्ष टी एस सिंहदेव ने कहा कि राज्यपाल रहे बलरामदास टंडन जी से हम लोगों को ज्वलंत मुद्दों को लेकर उनसे चर्चा करने का मौका मिला. उम्र का दबाव था उन पर. शारिरिक सीमाएं रही बावजूद इसके हर परिस्थितियों में उनका सहयोग मिला. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी तीन बार प्रधानमंत्री की शपथ लेने वाले नेता थे. विपक्षी दल के थे, लेकिन उन्हें देखकर लगता है कि विपक्ष का यदि कोई प्रधानमंत्री हो तो अटल जी जैसा हो. अनेकों विचारधारा के लोग अटल जी को सुनने पहुँचते थे. विपक्ष में रहते हुए भी उन्होंने जो भूमिका निभाई वह आदर्श है.

जब युवा सांसद के रूप में संसद पहुँचे तब पहले प्रधानमंत्री रहे नेहरू जी उनकी प्रतिभा को भांप गए. बेहिचक देशहित में व्यवस्था को सुदृढ बनाने में उनकी अनुकरणीय पहल रही.  राजधर्म की उनकी बातें रही हो, या फिर बाबरी मस्जिद विध्वंस के वक़्त की उनकी पीड़ा रही हो उन्होंने इससे कभी भी किसी को भी प्रभावित नहीं किया. उन्होंने कहा कि लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के प्रति सदस्यों का सम्मान बहुत गहरा रहा. सदन चलाने की परंपराओं को यदि किसी से सीखना चाहिए तो वह सोमनाथ चटर्जी जैसे नेताओं से ही सीखना चाहिए. उनकी अपनी पार्टी ने उन पर कार्रवाई की लेकिन उन्होंने अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया.
पूर्व मंत्री रामचंद्र सिंहदेव मेरे लिए काफी मायने रखते थे. मेरे पिता के क्लास फेलो रहे. कभी चुनाव नहीं हारे. उन्होंने ऐसा आदर्श स्थापित किया. उन पर एक दाग नहीं लगा. आज के युग मे जहां आचरण का पतन कई अवसर पर दिखता हो वहां ऐसा आदर्श स्थापित करता कोई चेहरा नहीं दिखता.

अजय चंद्राकर बोले पूर्व राज्यपाल ने सम्पूर्ण जीवन भारत माँ की सेवा के लिए लगा दिया. 

संसदीय कार्यमंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि पूर्व राज्यपाल  जब तत्कालीन जन संघ के अध्यक्ष कश्मीर की नीति का विरोध किया तो उस वक़्त भी बलरामदास टंडन का जुड़ाव रहा. उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत माँ की सेवा के लिए लगा दिया.  एक दशक तक एक दलीय की अवधारणा थी. संसद में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका नहीं थी. 33 साल की उम्र में जब अटल जी संसद चुनकर जाते हैं. उनकी असहमति के स्वर बेहद बुलंद थे.

उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू भी मानते थे कि ये भविष्य का एक बड़ा चेहरा है. छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण का श्रेय यदि किसी को जाता है तो वह इकलौते अटल बिहारी बाजपेयी है. श्री चंद्राकर ने कहा कि सोमनाथ चटर्जी जी इस विधानसभा में आये, उनके पिता हिन्दू महासभा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे उसके बावजूद उन्होंने बंगाल में संघर्ष का रास्ता चुना था. अपने दल के निर्देश के बावजूद उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष नहीं छोड़ा. संसदीय परम्पराओ को मजबूत करने वाले सोमनाथ चटर्जी जी को मैं श्रधांजलि देता हूं.

बृजमोहन बोले मेरे लिए तो पितातुल्य थे

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा- बलरामदास टंडन जी को नजदीक से देखा, उनका स्नेह मेरे लिए पितातुल्य होता था. जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में रहे.अटल बिहारी बाजपेयी अजातशत्रु, प्रखर वक्ता, प्रभावशाली नेता, छत्तीसगढ़ के निर्माता, ओजस्वी कवि विपक्षी के नेता भी उनके मुरीद थे.

जब कभी आप विचलित हो और उनकी कविताओं को देख ले तो उत्साह बढ़ जाएगा. श्री अग्रवाल ने कहा कि आज हम सब छत्तीसगढ़ की विधानसभा में बैठे हैं तो इसका श्रेय किसी को जाता है तो अटल बिहारी बाजपेयी को जाता है. ऐसे बिरले नेता कम ही होते हैं.सोमनाथ चटर्जी और रामचंद सिंहदेव जी को भी मैं श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं