संदीप सिंह ठाकुर, लोरमी. लोरमी के हाई स्कूल खेल मैदान अब खिलाड़ियों के लिए घातक साबित हो रहा है. ग्राउंड की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि अभ्यास करना तक मुश्किल है. लगातार उपेक्षा के कारण मैदान बदहाल हो चुका है. वहीं खिलाड़ी मायूस तो जनप्रतिनिधि और अधिकारी मस्त नजर आ रहे हैं और हाईस्कूल मैदान जनप्रतिनिधि और अधिकारियों की उपेक्षा की भेंट चढ़ गया है. और ग्राउंड में चारों तरफ गड्ढे हो चुके हैं और बरसात की वजह से जगह-जगह जलभराव की स्थिति बनी हुई है. लोरमी नगर में केवल एक मात्र खेल मैदान है जो इन दिनों विभागीय उपेक्षा का शिकार है. खिलाड़ियों के लिए एक भी खेल का मैदान नहीं है तो खिलाड़ी खुद को तैयार कैसे करेंगे.

दूसरी तरफ झझपुरी में लाखों रुपए की लागत से मिनी स्टेडियम का निर्माण करा दिया गया है, साथ ही खुड़िया में भी मिनी स्टेडियम प्रस्तावित है. खिलाड़ियों का कहना है जिसका कोई औचित्य नजर नहीं आ रहा है. नगर में खेल मैदानों की बदहाली से खेल प्रतिभा पर ग्रहण लग रहा है खेल मैदानों की बदहाली दूर करने के लिए विभागीय एवं प्रशासनिक स्तर पर महज कागजी औपचारिकता भर ही पूरी की जा रही है. हालत यह है कि नगर क्षेत्र में खिलाड़ियों को खेलने एवं अभ्यास करने की जगह तक नहीं मिल पा रही है. वहीं प्रतिभावान खिलाड़ियों के भविष्य के साथ खुलेआम खिलवाड़ हो रहा है.

बता दें यह वही मैदान है जहां पर कुछ वर्षों पहले खेल के विभिन्न आयोजन हुआ करता था, लेकिन आज मैदान खेल आयोजन के लिए तरस रहा है और यहां के खिलाड़ी मुंगेली और कवर्धा अभ्यास करने जाने को मजबूर हैं. खिलाड़ियों का कहना है कि एक तरफ सरकार हाईस्कूल मैदान के बदहाल व्यवस्था को सुधारने कोई कवायद नहीं कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ के आबकारी और नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल आज लोरमी प्रवास में रहेंगे. जिनके लिए हाई स्कूल मैदान के बीचों बीच हेलीपैड सीमेंट क्रांकीट करके बनाई गई है. जिससे हाईस्कूल मैदान की स्थिति और भी दयनीय हो गई है.

खिलाड़ियों द्वारा लगातार हाईस्कूल के बदहाल व्यवस्था को सुधारने स्थानीय विधायक और अधिकारियों से मांग की गई, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जिसके चलते हाईस्कूल मैदान के चारों तरफ कीचड़ ही कीचड़ नजर आ रही है और खेल मैदान केवल शराबियों के अड्डे बनकर रह गई है. उनका कहना है कि जल्द ही हाई स्कूल मैदान के बदहाल व्यवस्था को सुधारने की कवायद शुरू नहीं की गई तो उग्र आंदोलन के साथ चक्का जाम की जाएगी. जिसकी सारी जवाबदारी शासन और प्रशासन की होगी.