रायपुर. सूर्य को राजा की पदवी प्रदान की गई है. ज्योतिष के अनुसार सूर्य आत्मा और पिता का प्रतिनिधित्व करता है. सूर्य से ही सभी ग्रहों को प्रकाश प्राप्त होता है ओर ग्रहों की इनसे दूरी या नजदीकी उन्हें अस्त भी कर देती है. सूर्य सृष्टि को चलाने वाले प्रत्यक्ष देवता का रुप हैं. कुंडली में सूर्य को पूर्वजों का प्रतिनिधि भी माना जाता है. सूर्य पर किसी भी कुंडली में एक या एक से अधिक बुरे ग्रहों का प्रभाव होने पर उस कुंडली में पितृ दोष का निर्माण हो जाता है. व्यक्ति की आजीविका में सूर्य सरकारी पद का प्रतिनिधित्व करता है. व्यक्ति को सिद्धान्तवादी बनाता है. इसके अतिरिक्त सूर्य कार्यक्षेत्र में कठोर अनुशासन अधिकारी, उच्च पद पर आसीन अधिकारी, प्रशासक, समय के साथ उन्नति करने वाला, निर्माता, कार्यो का निरिक्षण करने वाला बनाता है.

बारह राशियों में से सूर्य मेष, सिंह और धनु में स्थित होकर विशेष रूप से बलवान होता है और मेष राशि में सूर्य को उच्च का माना जाता है. मेष राशि के अतिरिक्त सूर्य सिंह राशि में स्थित होकर भी बली होते हैं क्योंकि यह इनकी मूलत्रिकोण राशि होती है. यदि जातक की कुंडली में सूर्य बलवान और किसी भी बुरे ग्रह के प्रभाव से रहित है तो जातक को जीवन में बहुत कुछ प्राप्त होता स्वास्थ्य उत्तम होता है. शुभ फल प्राप्ति हेतु सूर्य के निम्न मंत्र और दान करना उत्तम होता है.

सूर्य का बीज मंत्र

“ऊँ ह्रं ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:”

सूर्य के लिए गेहूं, तांबा, रुबी, लाल वस्त्र, लाल फूल, चन्दन की लकडी, केसर आदि दान किए जा सकते है.