नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट 2021 के प्रावधानों को रद्द कर दिया है. CJI बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन ने बुधवार को इस केस में 137 पेज का फैसला सुनाया. 11 नवंबर को सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. आज फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “संसद मामूली बदलाव करके कोर्ट के फैसले को नहीं बदल सकती है.” कोर्ट ने कहा कि सरकार ने वही प्रावधान कानून में फिर से डाल दिए, जिन्हें पहले भी कोर्ट ने खारिज किया था.

ये पूरा मामला नवंबर 2020 से जुड़ा है. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल पांच साल तय किया था. फिर सरकार ने 2021 में नया कानून बना दिया. इसमें ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल घटाकर 4 साल कर दिया. इसके बाद मद्रास बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. इसी पर आज फैसला आया.

2021 के अधिनियम के प्रावधान बरकरार नहीं

सीजेआई ने कहा कि हमने अध्यादेश और 2021 के अधिनियम के प्रावधानों की तुलना की है और यह दर्शाता है कि मामूली फेरबदल के साथ रद्द किए गए सभी प्रावधानों को फिर से लागू किया गया है. इस प्रकार, हमने माना है कि 2021 के अधिनियम के प्रावधानों को बरकरार नहीं रखा जा सकता, क्योंकि यह शक्तियों के पृथक्करण और न्यायिक स्वतंत्रता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है.

जुलाई 2021 में कोर्ट ने न्यायाधिकरण सुधार अध्यादेश, 2021 द्वारा संशोधित वित्त अधिनियम, 2017 की धारा 184 को इस हद तक रद्द कर दिया था कि इसने न्यायाधिकरणों के सदस्यों और अध्यक्ष का कार्यकाल 4 साल तक निर्धारित कर दिया था. यह बिना किसी दोष और बाध्यकारी फैसले को दूर किए विधायी अधिलेखित करने के समान है. यह गलत है, इसलिए इसे असंवैधानिक घोषित किया जाता है.

कोर्ट कब रद्द कर सकता है?

कोर्ट ने स्वीकार किया कि वह संसद से किसी विशेष स्वरूप में कानून बनाने की अपेक्षा नहीं कर सकता. हालांकि, उसने यह भी कहा कि यदि कोई विधायी उपाय मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, शक्तियों के पृथक्करण या न्यायिक स्वतंत्रता जैसे संरचनात्मक सिद्धांतों का उल्लंघन करता है, विधायी क्षमता से परे जाता है, या बाध्यकारी संवैधानिक निर्देशों का उल्लंघन करता है तो न्यायालय उसे रद्द कर सकता है.

कोर्ट ने कहा कि जहां न्यायालय संवैधानिक कमियों की पहचान करता है और संवैधानिक सिद्धांतों, जैसे कि न्यायिक निकायों की स्वतंत्रता, संरचना या कार्यकाल से संबंधित, का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य निर्देश जारी करता है, वे निर्देश बाध्यकारी होते हैं.