दिल्ली के ओखला स्थित जामिया नगर में घरों और दुकानों को ध्वस्त करने के लिए DDA द्वारा जारी नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट(Suprem Court) जुलाई में सुनवाई करेगा. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई को दिए गए आदेश में DDA को 2 बीघा 10 बिस्वा क्षेत्र में अनधिकृत ढांचों के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने टेस्टिंग पर सरकार से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को घोषणा की कि वह राष्ट्रीय राजधानी के ओखला गांव में कुछ कथित अनधिकृत निर्माणों के खिलाफ दायर याचिका पर जुलाई में सुनवाई करेगा. यह मामला जस्टिस संजय करोल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया गया. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने शीर्ष अदालत के 7 मई के आदेश का उल्लेख किया, जिसमें डीडीए को ओखला गांव में अनधिकृत निर्माणों और अतिक्रमणों को कानून के अनुसार ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया था.

पीठ ने कहा कि उन्हें अपने आदेशों की जानकारी है और वे इस मामले में कुछ नहीं कहना चाहते, इसे हेगड़े पर छोड़ते हैं कि क्या उचित आदेश पारित किया जाए या इसे जुलाई तक टाला जाए. हेगड़े ने अनुरोध किया कि इस बीच कोई कार्रवाई न की जाए, क्योंकि यही असली समस्या है. पीठ ने इस पर टिप्पणी की कि यह उनका आदेश है और वे स्थिति को भलीभांति समझते हैं. शीर्ष अदालत ने हेगड़े से निर्देश लेने को कहा और मामले को आगे बढ़ा दिया. जब मामला फिर से सुनवाई के लिए आया, तो वरिष्ठ अधिवक्ता ने इसे जुलाई तक के लिए बढ़ाने का अनुरोध किया.

Supreme court: मद्रासी कैंप के बाद अब बाटला हाउस पर होगी बुलडोज़र कार्रवाई!, सुप्रीम कोर्ट का रोक लगाने से इनकार

याचिकाकर्ता के वकील ने सर्वोच्च न्यायालय के 7 मई के आदेश के एक अनुच्छेद का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि जो लोग तोड़फोड़ के नोटिस से प्रभावित हैं, वे कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र हैं. इसके बाद, पीठ ने मामले की सुनवाई जुलाई में निर्धारित की.

शीर्ष अदालत ने 7 मई को अपने आदेश में डीडीए को निर्देश दिया कि वह 2 बीघा 10 बिस्वा क्षेत्र में स्थित अनधिकृत ढांचों को कानून के अनुसार तोड़ने की कार्रवाई करे. इसके साथ ही, अदालत ने डीडीए से तीन महीने के भीतर अनुपालन का हलफनामा दाखिल करने की भी मांग की.

शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी भी ढांचे को ध्वस्त करने से पहले संबंधित व्यक्तियों को कम से कम 15 दिन का नोटिस दिया जाना आवश्यक है. यह टिप्पणी उस समय की गई जब अदालत दिल्ली में सार्वजनिक भूमि पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण के खिलाफ 2018 में दिए गए अपने निर्देशों के उल्लंघन के मामले में अवमानना याचिका की सुनवाई कर रही थी.

‘लगता है मुंबई पुलिस बहुत जल्दबाजी में है…,’ एंकर ग्रुप के डायरेक्टर हेमंग शाह की गिरफ्तारी को बॉम्बे हाई कोर्ट ने बताया अवैध, मस्कट जाने के दौरान दिल्ली एयरपोर्ट से किया था गिरफ्तार

हाल ही में अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की भूमि पर अतिक्रमण के कारण दिल्ली के ओखला स्थित जामिया नगर में कई घरों को ध्वस्त करने का नोटिस जारी किया है. 22 मई के इस नोटिस में बताया गया है कि ओखला, खिजरबाबा कॉलोनी में सिंचाई नियंत्रण विभाग की भूमि पर अवैध रूप से बने मकान और दुकानें हैं, जिन्हें अगले 15 दिनों के भीतर हटाने का निर्देश दिया गया है.