रायपुर। जैन समाज में त्याग और वैराग्य हमेशा से विशेष महत्व रखते हैं. आधुनिक दौर में जहां लोग करियर, व्यापार और पारिवारिक जीवन की सुविधाओं के सपने देखते हैं, वहीं रायपुर का सुराणा परिवार त्याग की एक अनोखी मिसाल बनने जा रहा है. परिवार के चार सदस्य सांसारिक जीवन को छोड़कर दीक्षा धारण करेंगे और पूरी तरह से वैराग्य के मार्ग पर चलेंगे.

सुराणा परिवार के कुल आठ सदस्य पहले ही संयम जीवन की तैयारी में जुटे हैं. अब हाल ही में परिवार की बेटी द्वारा किए गए त्याग के बाद माता-पिता और अन्य सदस्य भी दीक्षा के पथ पर चलने के लिए तैयार हैं. यह ऐतिहासिक दीक्षा समारोह 8 फरवरी 2026 को मुंबई में आयोजित होगा, जिसमें देशभर से जैन समाज के लोग शामिल होंगे.

बेटी की प्रेरणा से माता-पिता ने भी लिया बड़ा फैसला

बेटी के बाद अब माता-पिता जी संयम पथ पर (संकलेचा परिवार) रायपुर निवासी संकलेचा परिवार के शैलेंद्र (49) और उनकी पत्नी एकता बेन (47) भी इस महायज्ञ में आहुति देने जा रहे हैं. ठीक एक वर्ष पूर्व हसी दंपति की लाडली बेटी ने भी दीक्षा ग्रहण की थी. बेटी के वैराग्य रंग वे माता-पिता को इतवा प्रमावित किया कि अब वे भी उसी राह पर चल पड़े हैं. परिवार का कहना है कि वैराग्य जीवन में बेटी को खुश देखकर माता-पिता ने फैसला लिया है. उनका कहना है कि बेटी को देखकर समझ आया. जीवन का सुख त्याग में है. संकलेचा परिवार के लेलेंद्र का यूद्रापारा में कपड़े का व्यापार है. संयुक्त परिवार में रहते हैं.

समारोह में शामिल होने वाले बच्चे और युवा भी पारंपरिक वेशभूषा में नजर आएंगे, जो संयम और त्याग के महत्व का संदेश देंगे. तस्वीरों में दीक्षा-पूर्व कार्यक्रम में परिवार के सदस्य पारंपरिक और रंगीन जैन पोशाक में दिखाई दे रहे हैं. जैन समाज के अनुसार, दीक्षा एक व्यक्ति को सांसारिक मोह-माया से मुक्त कर आध्यात्मिक साधना के मार्ग पर आगे बढ़ाती है.

मुंबई में भव्य आयोजन की तैयारी

दीक्षा समारोह की तैयारियाँ मुंबई में जोर-शोर से चल रही हैं. आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि देशभर से जैन संत, साध्वी और समाजजन इस दिव्य अवसर का हिस्सा बनेंगे. कार्यक्रम के दौरान धार्मिक अनुष्ठान, प्रभात फेरी, प्रवचन और आशीर्वचन भी होंगे. समारोह में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, इसलिए व्यवस्था को लेकर विशेष प्लानिंग की जा रही है.

समाज में चर्चा का विषय बना परिवार का त्याग

रायपुर के जैन समाज में सुराणा परिवार का यह निर्णय प्रेरणा का विषय बना हुआ है. समाजजन कहते हैं कि आज के समय में इतने बड़े व्यवसाय और पारिवारिक दायित्व छोड़कर संयम मार्ग अपनाने का निर्णय अत्यंत साहसिक है और युवा पीढ़ी को भी आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करता है.

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