जालंधर . कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार ने 700 भारतीय छात्रों को वापस भारत भेजने का निर्णय लिया है. कनाडाई अधिकारियों ने शैक्षणिक संस्थानों में इन छात्रों के ऑफर लेटर को नकली पाया. इसके बाद कनाडा की सीमा सुरक्षा एजेंसी (CBSA) ने इन सभी छात्रों के खिलाफ डिपोर्टेशन नोटिस जारी कर दिया है. ये सभी छात्र 2018 या उसके बाद स्टडी प्रोग्राम के तहत कनाडा पहुंचे थे. आईएएनएस की रिपोर्ट्स के अनुसार इन सभी छात्रों ने जालंधर स्थित बृजेश मिश्रा की एजुकेशन माइग्रेशन सर्विस के माध्यम से आवेदन किया था. बृजेश मिश्रा पर ये आरोप है कि उसने हर छात्र से वीजा के लिए 16 से 20 लाख रुपए लिए. इसमें एडमिशन फीस और दूसरे चार्ज भी शामिल थे. हालांकि, इसमें एयर टिकट और सिक्योरिटी डिपॉजिट शामिल नहीं थे.
2018-19 में गए थे पढ़ने
ये एडमिशन ऑफर लेटर 5 साल पुराने हैं, जब ये छात्र 2018-19 में पढ़ाई करने के लिए कनाडा गए थे. इस फ्रॉड का खुलासा तब हुआ जब छात्रों ने कनाडा में स्थायी निवास के लिए आवेदन किया. इसके बाद सीबीएसए ने इन एडमिशन ऑफर लेटर्स की जांच की तो पाया कि ये फर्जी है. इन ऑफर्स लेटर्स की वजह से ही छात्रों को वीजा दिया गया था.
एक्सपर्ट ने बताया कि इन छात्रों ने पढ़ाई पूरी कर ली है. इन्हे वर्क परमिट मिल गया है और वर्क एक्सपीरियंस भी हासिल हो गया है. ये सारी समस्या तब खड़ी हुई, जब इन छात्रों ने स्थायी निवास के लिए आवेदन किया. जानकारों के मुताबिक कनाडा में इस तरह के एजुकेशनल फ्रॉड का यह पहला मामला है.
पंजाब से शिक्षा के आधार पर विदेश जाने की इच्छा रखने वाले छात्रों के आवेदन बड़ी संख्या में नामंजूर होते हैं. इसके प्रमुख कारण फर्जी बैंक स्टेटमेंट और बर्थ सर्टिफिकेट के अलावा एजुकेशन गैप को लेकर तैयार किए जाने वाले फर्जी दस्तावेज भी हैं. जांच में यह मामले पकड़े जाते हैं. 2020-21 में ऑस्ट्रेलिया के डिपार्टमेंट ऑफ होम अफेयर्स ने पंजाब, हरियाणा से संबंधित 600 से अधिक ऐसे मामले पकड़े, जिनमें ऑस्ट्रेलिया का एजुकेशन वीजा हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेज लगाए गए थे.