भुवनेश्वर। बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्व हिस्से में बन रहा मौसम तंत्र अब स्पष्ट रूप से एक लो-प्रेशर एरिया में विकसित हो चुका है. मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह सिस्टम सोमवार तक और अधिक मजबूत होकर डिप्रेशन में बदल सकता है. दो दिनों के भीतर इसके उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ने और दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी व दक्षिण अंडमान सागर के पास पहुंचते ही साइक्लोन में तब्दील होने की आशंका जताई जा रही है. हालांकि इसका सटीक मार्ग और लैंडफॉल का समय अभी स्पष्ट नहीं है.

25 नवंबर तक सिस्टम के और मजबूत होने की संभावना

मौसम वैज्ञानिक संदीप पटनायक ने बताया कि मलक्का स्ट्रेट और दक्षिण-पूर्व खाड़ी के हालात इस सिस्टम के मजबूत होने के लिए अनुकूल हैं. मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (MJO) फेज़ को पार करने के लिए भी परिस्थितियां अनुकूल बनी हुई हैं.
उन्होंने कहा कि प्रशांत महासागर से आ रही तेज हवाएं, समुद्र की अनुकूल सतही परिस्थितियां और ठंडी हवाओं की अनुपस्थिति सिस्टम को और अधिक मजबूत बना रही हैं.

पटनायक के अनुसार, यह सिस्टम 21 नवंबर से 2 या 3 दिसंबर तक सक्रिय रह सकता है, जबकि 26 से 30 नवंबर का समय इसकी तीव्रता को लेकर सबसे महत्वपूर्ण हो सकता है. इस अवधि में संभावित साइक्लोन बंगाल की दक्षिण-पश्चिम खाड़ी के ऊपर आंध्र प्रदेश व ओडिशा तट के करीब और अधिक ताकतवर हो सकता है.

हवा की रफ्तार में तेजी

25 नवंबर से दक्षिण-पूर्वी खाड़ी में हवा की गति बढ़ने लगेगी—

  • प्रारंभिक स्पीड: 50–60 किमी/घंटा
  • 26 नवंबर: 60–70 किमी/घंटा, झोंके 80 किमी/घंटा तक
  • 27 नवंबर सुबह: हवा की रफ्तार 100 किमी/घंटा तक पहुंचने की संभावना

IMD ने अभी तक संभावित तूफान के ट्रैक या लैंडफॉल को लेकर कोई आधिकारिक एडवाइजरी जारी नहीं की है.

तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश पर शुरुआती असर, ओडिशा भी हो सकता है प्रभावित
मौसम विभाग का अनुमान है कि इस सिस्टम का शुरुआती प्रभाव तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में देखने को मिल सकता है. हालांकि, यदि अंडमान सागर के ऊपर मौजूद दो सर्कुलेशन आपस में मिलते हैं, तो ओडिशा पर भी इसका असर पड़ सकता है.

अलर्ट मोड पर ओडिशा सरकार

राज्य के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री सुरेश पुजारी ने बताया कि यह सिस्टम अभी मेनलैंड से लगभग 1,000 किलोमीटर दूर है, लेकिन सरकार पूरी तरह सतर्क है. सभी विभागों को किसी भी संभावित बदलाव, विशेषकर सिस्टम के ओडिशा तट की ओर शिफ्ट होने की स्थिति के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं. केंद्र और राज्य एजेंसियां मिलकर हालात पर लगातार नजर बनाए हुए हैं.