रायपुर। कांग्रेस ने राज्य सरकार की ओर से कलेक्टर कांफ्रेंस के दौरान जिलों की कई समीक्षा और दी रैकिंग को लेकर सवाल उठाया गया है. कांग्रेस ने रमन सरकार से ये पूछा है कि 27 कलेक्टरों को ‘ए’ ‘बी’ ‘सी’ कैटेगिरी में रखा है, तो यह जनता को बताया जायें कि कौन से विश्वविद्यालय के कुलपति के माध्यम से इनका मूल्यांकन किया गया है। कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा कि एक ओर जहां मुख्यमंत्री रमन सिंह अपनी पार्टी की कार्यसमिति की बैठक में कहते हैं कि वह विकास के एजेण्डें को लेकर 2018 की चुनाव में जनता के समक्ष जायेंगे, वहीं दूसरी ओर उन्हीं के सरकार के 17 कलेक्टर 33 अंक भी नहीं ला पाये और सरकार विकास का दंभ भर रही है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि बीजेपी सरकार के 27 में से 17 कलेक्टर 33 प्रतिशत के लायक भी नहीं साबित हो सके तो इसका श्रेय उन क्षेत्रों के बीजेपी सांसद, राज्य के मंत्री, विधायक एवं बीजेपी नेताओं को उतना ही जाता है, उनके अयोग्यता का भी प्रतिशत कलेक्टरों के सामान ही है। सरकार ने 15 विभागों कि 18 योजनाओं पर जिनमें धान खरीदी, मिलिंग, स्वास्थ्य, मनरेगा भुगतान, उज्जवला योजना, स्वच्छ भारत अभियान एवं प्रधानमंत्री की अन्य योजनाओं पर भी 17 कलेक्टर 33 प्रतिशत अंक तक पाने लायक कार्य संपादित नहीं किया है, फिर राज्य सरकार ने किस विश्वविद्यालय के कुलपति के माध्यम से कलेक्टरों की उच्चतम, मध्यम एवं निम्न श्रेणी का निर्धारण किया है। विकास तिवारी ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री (PM), मुख्यमंत्री (CM) एवं जिला दंडाधिकारी (DM) ही सबसे जिम्मेदार और निर्णायक माने जाते हैं और 27 में से 17 कलेक्टर फेल है, तो जिम्मेदार कौन है? क्या सरकार की पदस्थापना नीतियां, कलेक्टरों की कलेक्शन नीति या फिर सरकार की गांव, गरीब और किसानों के साथ किया गया वादाखिलाफी का असर है।