देश की शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को एक यौन उत्पीड़न के मामले में अपने ही फैसले को बदल दिया। अदालत ने नाबालिग के यौन उत्पीड़न के मुकदमे में दोषी को मिली सज़ा को खत्म कर दिया। दोनों पक्षों की आपसी सहमति के चलते इस केस को कलकत्ता हाई कोर्ट ने भी खत्म किया था, लेकिन अगस्त 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की आलोचना करते हुए केस को दोबारा खोलने का आदेश दे दिया था।
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पीड़िता को आरोपी से बहुत लगाव, असल परेशानी क़ानूनी प्रक्रिया से हुई
बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन यह फैसला सुनाया। जस्टिस अभय एस ओका ने स्वीकार किया कि जिस लड़की को कानून पीड़िता मान रहा है, वह खुद को ऐसा नहीं मानती। वह आरोपी से बहुत लगाव रखती है। दोनों ने शादी की है। उनका एक बच्चा भी है। लड़की को वास्तव में कोई परेशानी हुई है तो वह कानूनी प्रक्रिया से हुई है। इसलिए, सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 142 की विशेष शक्ति का इस्तेमाल करते हुए निचली अदालत में लंबित केस को बंद कर रहा है।
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कलकत्ता हाई कोर्ट ने आरोपी को किया था बरी
बता दें कि साल 2023 को कलकत्ता हाई कोर्ट जस्टिस चित्तरंजन दास और पार्थसारथी सेन की डिवीजन बेंच ने मामले में फैसला सुनाते हुए आरोपी को बरी कर दिया था। जजों ने दोनों के बीच आपसी सहमति से संबंध बनने को आधार बनाते हुए यह फैसला दिया था। लेकिन इस फैसले में जजों ने युवाओं को बहुत सी नसीहत दे दी थी जिसे लेकर काफी विवाद हुआ था।
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फैसला सुनाते समय हाई कोर्ट ने की थी विवादित टिप्पणी
उस फैसले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा था, ‘लड़कियों को अपनी यौन इच्छा को नियंत्रण में रखना चाहिए और 2 मिनट के आनंद पर ध्यान नहीं देना चाहिए’ हाई कोर्ट ने लड़को को भी नसीहत दी थी कि उन्हें भी लड़कियों की गरिमा का सम्मान करना चाहिए। हाई कोर्ट के इस फैसले की जानकारी मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर स्वतः संज्ञान ले लिया था। इस केस को सुप्रीम कोर्ट ने In Re: Right to Privacy of Adolescent का नाम देकर सुना।
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सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलटा
मामले में 20 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया। फैसले में हाई कोर्ट की तरफ से की गई टिप्पणियों को सुप्रीम कोर्ट ने अवांछित बताते हुए आलोचना की थी. साथ ही, आरोपी को पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराए जाने को सही कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में आर्डर रिज़र्व कर लिया था और सज़ा पर बाद में फैसला देने की बात कही थी। इसे लेकर एक कमिटी का गठन कर रिपोर्ट भी मांगी गई थी।
कमिटी की रिपोर्ट को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि लड़की आरोपी से शादी कर चुकी है और वह अपने पति से बेहद प्यार करती है। वह अपने छोटे से परिवार को बचाना चाहती है। इस मामले में दोषी को जेल में रखना न्याय के हित में नहीं होगा।
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