सुशील सलाम, कांकेर. नक्सलियों के डर से कोयलीबेड़ा विकासखंड का माहला गांव एक समय खाली हो गया था. ग्रामीण जमीन जायदाद छोड़कर पखांजूर में शरण ले लिए थे. नक्सलियों के भय से इस गांव में लोग रहने के लिए डरते थे. माहला में जब बीएसएफ कैंप स्थापित हुआ इसके बाद से ग्रामीण वापस महला आने लगे. अब इस गांव में प्रशासन बैठकर जनसमस्या शिविर लगाकर ग्रामीणों की समस्याएं सुन रहा. कलेक्टर के साथ पूरा प्रशासनिक अमला गांव पहुंच रहा है. अतिसंवेदनशील गांव माहला के ग्रामीण अपने बीच कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर को पाकर बेहद उत्साहित व खुश नजर आए.
कलेक्टर ने कहा कि सरकार अतिसंवेदनशील गांव में हर मूलभूत सुविधाएं देने के लिए भी हम लोगों को भेजी है. क्षेत्र के विकास के लिए सभी काम कराए जाएंगे. ग्रामीणों की मांग पर कलेक्टर ने सामुदायिक भवन बनवाने की बात भी कही.
कलेक्टर ने कहा, आमजनता तक शासन-प्रशासन की योजनाओं की पहुंच सुनिश्चित करने प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार जिला प्रशासन दूरस्थ क्षेत्रों में जनसमस्या निवारण शिविर आयोजित कर रहा है. इससे ग्रामीण हितग्राहीमूलक योजनाओं का लाभ ले रहे. कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर के निर्देश पर जिले के सुदूरवर्ती कोयलीबेड़ा विकासखंड के ग्राम पंचायत परतापुर के आश्रित ग्राम महला में जिला स्तरीय जनसमस्या निवारण शिविर लगाया गया, जहां ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान किया गया.
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