रायपुर- लाॅकडाउन के बीच आर्थिक मार झेल रहे राज्य के किसानों के लिए यह राहत भरी खबर है. भूपेश सरकार धान खरीदी में अंतर की राशि का भुगतान मई महीने से शुरू करने जा रही है. कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि राजीव गांधी न्याय योजना के तहत किसानों को यह राशि वितरित की जाएगी. हाल ही में सरकार ने बजट में पांच हजार करोड़ रूपए का प्रावधान किया था. इसका वितरण किसानों को हो पाता इससे पहले लाॅकडाउन लागू हो गया.
कृषि मंत्री ने कहा है कि अंतर की राशि मिलने के बाद राज्य के किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण का फैलाव रोकने केंद्र की एडवायजरी के बाद लागू हुए लाॅकडाउन में भी राज्य सरकार ने कृषि क्षेत्र की गतिविधियों में कई तरह की छूट दी है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए किसानों को फसल, सब्जी तोड़ने के अलावा हारवेस्टिंग, ट्रैक्टर की आवाजाही में छूट दी गई है. साथ ही खेतों में काम करने वाले मजदूरों, कृषि सेवा केंद्रों को भी छूट के दायरे में रखा गया, जिससे खेती-किसानी के कामकाज में किसी तरह की दिक्कत न हो. इस वक्त राज्य के किसान सवा लाख हेक्टेयर में समर पैडी ले रहे हैं, इसलिए कृषि से जुड़ी सभी तरह की सेवाओं को खोला रखा गया. डेयरी, दूध और दूध से बनी सामग्री की बिक्री पर छूट रखी गई, मछलीपालन की गतिविधियों को राज्य में छूट दी गई.
रविंद्र चौबे ने कहा कि, दो दिन पहले ही रिजर्व बैंक ने आर्थिक पहलूओं पर जो रिपोर्ट पेश की है, उसमें लाकडाउन के हालात के बीच भी छत्तीसगढ की आर्थिक स्थिति की प्रशंसा की गई. खासतौर पर कृषि क्षेत्र में किए गए प्रयासों को सराहा गया. उन्होंने कहा कि राज्य के किसानों को खरीफ फसल के बीमा का 565 करोड़ रूपए खाते में डाल दिया गया. लगभग 70 करोड़ रूपए की राशि का ट्रांजेक्शन प्रक्रियाधीन है. मौसम आधारित फसल बीमा में पौने 15 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया है. मुंगेली, कवर्धा जिले से शुरूआत हुई है. रबी की बीमा की राशि भी किसानों का खाते में पहुंचाने का काम हम जल्द करेंगे. कृषि मंत्री ने कहा कि ओलावृष्टि से प्रभावित जिलों में रबी की फसल का नुकसान हुआ. आरबीसी के तहत स्वीकृत राशि से 50 करोड़ रूपए दिए जा चुके हैं. पांच हजार 200 करोड़ का शार्ट टर्म लोन का प्रावधान रबी फसल के लिए रखा है. केसीसी तैयार हो चुकी है. कृषि मंत्री ने यह भी बताया कि इमली, केला, पपीता, मिर्ची इत्यादि की खरीदी में राज्य के किसान ठगे जा रहे थे, यहां के उत्पादों को महानगरों में ऊंचे दर पर बेचा जा रहा था, लिहाजा केंद्र की एजेंसी से खरीदी की मांग हमने की थी. केंद्र ने नैफेड के जरिए इसकी खरीदी की शुरूआत की है. इससे किसानों को बड़ा फायदा मिलेगा. रविंद्र चौबे ने बताया कि लाकडाउन के दौरान भी रोजगार गारंटी के कुछ काम शुरू किए गए हैं. विभाग से वाटरशेड का काम चल रहा है.
चौबे ने कहा कि जल संरक्षण से जुड़े कामों की अनुमति कल ही केंद्र सरकार ने एडवायजरी जारी कर दी है. आने वाले समय में रोजगारमूलक कामों को लेंगे. पिछले साल की तुलना में इस साल एक लाख 62 हजार हेक्टेयर की अतिरिक्त सिंचाई दी थी. पांच हजार निस्तारी तालाबों को गर्मी में जल उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है.12 से 15 हजार लोगों को रोजगार उपलब्ध कराएंगे. बंद पड़े काम भी जल्द शुरू होंगे. 50 से 60 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा. दो सौ से ढाई सौ करोड़ के काम का टेंडर जल्द खोला जाएगा. उन्होंने कहा कि बोधघाट परियोजना में प्री फिजिबिलिटी रिपोर्ट केंद्रीय जल आयोग को भेज दिया है. खरीफ फसल की तैयारी के मद्देनजर किसानों को सीड, फर्जीलाइजर की सप्लाई शुरू कर दी गई है.
बायो इथेनाॅल बनाने का रास्ता हुआ साफ
इधर छत्तीसगढ़ में धान से बायो इथेनाॅल बनाने का रास्ता साफ होता दिख रहा है. पिछले दिनों दिल्ली में हुई नेशनल बायो फ्यूल कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठक में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने फूड कार्पोरेशन आफ इंडिया (एफसीआई) को इसकी अनुमति दे दी है. कृषि मंत्री रविंद्र चौबे और खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि अब राज्य की मांग भी जल्द पूरी हो सकेगी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी बायो इथेनाॅल का उत्पादन करने की अनुमति दिए जाने की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चिठ्ठी लिखकर की थी.
65 लाख परिवारों को उपलब्ध कराया राशन
खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि, लाकडाउन में भी हमने राज्य के 65 लाख 63 हजार राशन कार्डधारियों को खाद्यान्न उपलब्ध कराने का चुनौतीपूर्ण काम किया है. इन कार्डधारी परिवारों को दो माह का खाद्यान्न निशुल्क देकर हमने 2 करोड़ 44 लाख लोगों के भोजन की व्यवस्था सुनिश्चित की है. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण और लाकडाउन के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार के फैसलों से यहां की अर्थव्यवस्था बेहतर रही.