बिलासपुर. छत्तीसगढ़ राज्य के लिए वरिष्ठ पायलेट की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता युगल रात्रे की याचिका खारिज कर दी है. दरअसल याचिकाकर्ता युगल रात्रे ने उच्च न्यायालय बिलासपुर के समक्ष एक याचिका लगाई थी, जिसमें बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा वरिष्ठ पायलेट की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था, जिसमें चयन समिति ने इस पद के लिए कप्तान एन. बमन को नियुक्ति प्रदान की थी.
याचिकाकर्ता ने बताया, कप्तान एन बमन ने अपने निजी कारणों से नियुक्ति लेने से इंकार कर दिया. इसके बाद छग शासन द्वारा याचिकाकर्ता युगल रात्रे जिन्हे वरिष्ठ पायलेट की नियुक्ति के लिए प्रतिक्षा सूची क्रम में रखा था को नियुक्ति प्रदान किया जाना था किंतु चयन समिति ने अयोग्य घोषित कर दिया, जो अनुचित था. समीक्षा समिति ने नियुक्ति के लिए इस आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया, क्योंकि याचिकाकर्ता को किंग एयर बी-टु हंड्रेड को 50 घण्टे चलाने का अनुभव नहीं था. राज्य शासन द्वारा इन्ही कारणों से नई नियुक्ति के लिए पुनः विज्ञापन जारी किया, जिसे याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी और अक्टूबर 2022 में उक्त नियुक्ति पर स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया.
राज्य शासन की ओर से उप महाधिवक्ता संदीप दुबे ने बताया कि याचिकाकर्ता को जिस चयन समिति ने प्रतिक्षा सूची में रखा था, उसमें गलती से अनुभव नहीं होने के बावजूद उन्हे योग्य पाया गया था, जिसे रद्द कर दिया गया था. किंग एयर बी-टु हंड्रेड अत्यंत महत्वपूर्ण विमान है, जिसमें विशिष्ट व्यक्ति उड़ान भरते हैं, इसलिए राज्य शासन संचालक सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट रेगुलेशन बनाया गया, जिसमें खास व्यक्तियों के उड़ान के संबंध में दिशा निर्देश जारी किये गए.
हाईकोर्ट ने उच्चतम न्यायालय द्वारा पूर्व में पारित आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी अभ्यर्थी का चयन का अधिकार तब तक नहीं है जब तक वह उस पद के पर्याप्त योग्यता न रखता हो. याचिकाकर्ता द्वारा उसी विज्ञापन के तहत चयन प्रक्रिया में भाग लिया गया और जब वह उस पद पर चयनित नहीं हो पाया तब उस नियुक्ति को उच्च न्यायालय में चुनौती नहीं दिया जा सकता.
अपने निर्णय में हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि अत्यंत खास व्यक्तियों के उड़ान के लिए पायलेट की नियुक्ति करना एक गंभीर प्रक्रिया है और सिविल एविएशन विभाग संविधान के तहत संघ का विषय है एवं केंद्र शासन द्वारा जारी दिशा निर्देश के अंतर्गत राज्य शासन द्वारा नियुक्ति की जा रही है, इसलिए नियुक्ति प्रक्रिया में कोई त्रुटि नहीं कहा जा सकता और याचिकाकर्ता की याचिका खारिज कर दी.
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