दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर से राहत देने के लिए क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम बारिश का प्रयास किया जा रहा था। इस पूरी प्रक्रिया की ज़िम्मेदारी IIT कानपुर के पास थी। हालांकि पहला प्रयास पूरी तरह सफल नहीं हो पाया। विशेषज्ञों ने इसके पीछे बादलों में नमी की कमी को मुख्य कारण बताया है। आईआईटी कानपुर की टीम ने कहा कि क्लाउड सीडिंग तभी संभव है, जब बादलों में पर्याप्त मात्रा में नमी मौजूद हो, ताकि वे बारिश लाने वाले कणों को समेट कर बरस सकें। लेकिन मौजूदा मौसम परिस्थितियों में नमी का स्तर काफी कम पाया गया।

इसी वजह से आईआईटी कानपुर ने साफ कर दिया है कि आज (बुधवार) के लिए प्रस्तावित अगला क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन अब नहीं किया जाएगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि नमी कम होने की स्थिति में क्लाउड सीडिंग की सफलता की संभावना बेहद कम रहती है, इसलिए इस प्रक्रिया को अभी के लिए रोक दिया गया है।

आईआईटी कानपुर के अधिकारियों ने कहा “मौसम की स्थिति फिलहाल क्लाउड सीडिंग के लिए उपयुक्त नहीं है। नमी की कमी के कारण इसका परिणाम निराशाजनक होगा। इसलिए तब तक प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई जाएगी, जब तक मौसम पूरी तरह तैयार न हो।” पहले चरण के तहत मंगलवार को ट्रायल किया गया था, लेकिन वह सफल नहीं हो सका। वैज्ञानिकों ने यह भी स्पष्ट किया कि क्लाउड सीडिंग कोई स्थायी समाधान नहीं है, बल्कि यह केवल आपात स्थिति में अस्थाई राहत देने की तकनीक है।

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और खराब वायु गुणवत्ता से राहत देने के लिए आईआईटी कानपुर की टीम द्वारा क्लाउड सीडिंग का ट्रायल किया गया था, लेकिन मौसम में नमी की कमी के कारण इस प्रक्रिया को आगे के लिए फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, बादलों में नमी की मात्रा उम्मीद से काफी कम थी, जिसके चलते बारिश कराना संभव नहीं हो सका। हालाँकि, इस ट्रायल का सकारात्मक प्रभाव भी सामने आया है।

दिल्ली सरकार ने ट्रायल माना सफल

प्रदूषण से राहत देने के लिए दिल्ली सरकार की ओर से क्लाउड सीडिंग को महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा था। मंगलवार को आईआईटी कानपुर की टीम द्वारा राजधानी में इस तकनीक का परीक्षण भी किया गया, हालांकि बारिश नहीं हो पाई। इसके बावजूद सरकार ने इस ट्रायल को आंशिक रूप से सफल बताया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, सीडिंग प्रक्रिया के बाद हवा में मौजूद धूल कणों यानी PM2.5 और PM10 के स्तर में 6 से 10 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है, जो वायु गुणवत्ता में सुधार का संकेत देता है।

दिवाली के बाद बढ़ा प्रदूषण

दिवाली के बाद उत्तर और मध्य भारत में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं, जिसका सीधा असर दिल्ली-NCR की हवा पर दिखाई देने लगता है। इसी कारण राजधानी में प्रदूषण का स्तर लगातार ऊपर बना हुआ है। दिवाली के बाद से दिल्ली का AQI बहुत खराब श्रेणी में बना हुआ है और सुधार के कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिख रहे।

प्रदूषित हवा के चलते लोगों में खांसी, सर्दी, गले में खराश और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। डॉक्टरों ने बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है। प्रदूषण के कारण दृश्यता (Visibility) भी कम हो गई है। सुबह और शाम के समय सड़कों पर धुंध की मोटी परत नजर आ रही है, जिससे ट्रैफिक की रफ्तार धीमी हो गई है और सड़क हादसों का खतरा बढ़ गया है।

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