अमेरिका से डिपोर्ट होकर भारत(Deported From America to India) आए युवकों ने अपना दर्द बयां किया है कि उन्होंने अमेरिका जाने के दौरान किन-किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा. अमेरिका से डिपोर्ट होकर अमृतसर, कुरुक्षेत्र और पटियाला पहुंचे युवकों ने अपनी पीड़ा बताई है. अमेरिका से रिहा किए गए दो युवकों को अमृतसर पुलिस ने रात 8.30 बजे टांडा पुलिस डीएसपी दफ्तर लेकर पहुंचा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश से 104 भारतीयों को मिलिट्री प्लेन से अमृतसर भेजा गया, जिससे उनका अमेरिका जाने का सपना टूट गया. इसके बाद 104 लोगों ने अपनी डंकी रूट की कहानी बताई है. इन भारतीयों ने वहां तक पहुंचने के लिए एजेंटों के झांसे में आने और उस दौरान हुई परेशानियों को बताया है. उन्होंने बताया कि डंकी ने फ्लाइट्स कैसे ली और बड़ी रकम चुकाने के बावजूद बिना पेपर्स के अमेरिका तक पहुंचा.

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जहां विधायक जसवीर सिंह राजा ने उनके परिवार को सौंप दिया. दोनों ने बताया कि वे एजेंट से यूरोप के वीजे पर जाना चाहते थे और वहां से सीधी मेक्सिको की फ्लाइट लेना चाहते थे, लेकिन एजेंट ने कहा कि वे डोंकी लगाकर जंगलों से पैदल चलाकर और समुद्र के रास्ते मेक्सिको पहुंचाया. उन्हें आज वापस अमृतसर भेजा गया, जहां से वह 22 जनवरी को मैक्सिको बॉर्डर पार कर अमेरिका में पहुंचे. उन्होंने बताया कि उनके पास खाने पीने का कोई साधन नहीं था.

‘कई बार भूखे ही सोना पड़ता था, गाली सुनी’

उन्हें कभी-कभी ब्रेड पानी में खाना पड़ता था और कभी-कभी भूखे ही सोना पड़ता था. उन्होंने बताया कि उनके कई साथी रास्ते में मर गए, जो लड़का बीमार हो जाता था, उसे वहीं छोड़ देते थे, और जो कोई ऊंची आवाज में बात करता था, उसे भी गोली मार देते थे.

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अमेरिका से बाहर निकाले गए खुशप्रीत सिंह ने कहा कि उन्होंने 45 लाख रुपये देकर भारत जाने का सपना देखा था और अब उनके पासपोर्ट पर भारत सरकार की स्टैंप लगाई गई है. खुशप्रीत सिंह का गांव हरियाणा और पंजाब के बॉर्डर पर है. चम्मु कला से 2 किलोमीटर की दूरी पर पटियाला जिला है, जहां रोते हुए पिता की तस्वीर दिखाई देती है, जो बात करते हुए रो पड़े. खुशप्रीत के पिता जसवंत सिंह, 57 वर्ष, ने बताया कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि एजेंट उनके बेटे को डोंकी के रास्ते भेजेगा. एजेंट ने कहा कि मेरे बेटे को पहले मुंबई से दिल्ली हवाई अड्डे भेजा गया, फिर जंगलों और समुद्र के रास्ते अमेरिका भेजा गया.

करंट भी लगाया गया, एजेंट परिजनों से पैसे मांगते रहे

18 वर्षीय खुशप्रीत सिंह ने बताया कि 23 अगस्त 2024 में दिल्ली हवाई अड्डे से उसे जहाज में बिठाया गयाथा और 22 जनवरी 2025 को अमेरिका पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि पहुंचते ही उन्हें पकड़ लिया गयाथा और 12 दिन तक अलग-अलग जगहों पर कैंप में रखा गयाथा, जिस दौरान उसे यातनाएं दी गईं, कई बार करंट लगाया गया. बार-बार एजेंट परिजनों से पैसे मांगते रहे.

साथ ही, अमृतसर के सलेमपुरा गांव के रहने वाले दलेर सिंह, जो अगस्त महीने में पंजाब से दुबई गए थे, उन्हें एजेंट ने बताया था कि उन्हें लीगल तरीके से अमेरिका भेजा जाएगा.

उन्हें दुबई से धीरे-धीरे अलग-अलग देशों से ले जाया गया और पनामा के रास्ते अमेरिका पहुंचा गया. रास्ते में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जंगलों और दलदल में घूमना पड़ा, और कई लोग मर गए. उनका कहना था कि उनसे धोखा हुआ है. पंजाब के युवा लोगों से यही अपील है कि अगर वे विदेश जाना चाहते हैं तो लीगल तरीके से जाएं. सरकार को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यहीं रोजगार के अवसर पैदा किए जाएं, ताकि युवा लोगों को विदेश जाने का विचार न आए.

पंजाब के होशियारपुर जिले के ताहली गांव के मूल निवासी हरविंदर सिंह ने बताया कि एजेंट ने उन्हें 42 लाख रुपये का भुगतान करके अमेरिका में काम करने का वादा किया था. सिंह ने संवाददाताओं से कहा, “ब्राजील में, मुझे बताया गया था कि मुझे पेरू से फ्लाइट में बिठाया जाएगा, लेकिन ऐसी कोई फ्लाइट नहीं थी.” उन्होंने कहा कि बाद में उन्हें दिल्ली से कतर और फिर ब्राजील तक एक निरंतर फ्लाइट में भेजा गया.

‘पेरू से नहीं मिली फ्लाइट’

हरविंदर सिंह ने कहा, “ब्राजील में मुझे बताया गया कि मुझे पेरू से एक फ्लाइट में बिठाया जाएगा, लेकिन ऐसी कोई फ्लाइट नहीं थी. फिर टैक्सियों ने हमें कोलंबिया और फिर पनामा की शुरुआत तक पहुंचाया. वहां से मुझे बताया गया कि एक जहाज हमें ले जाएगा, लेकिन वहां भी कोई जहाज नहीं था. यहीं से हमारा डंकी रूट शुरू हुआ था, जो दो दिनों तक चला.”

पहाड़ियो से होकर 40 KM चले पैदल

दारापुर गांव के सुखपाल सिंह ने कहा, ‘अगर कोई घायल हो जाता है, तो उसे मरने के लिए छोड़ दिया जाता है.’ उन्हें समुद्री मार्ग से 15 घंटे की यात्रा करनी पड़ी और 40 से 45 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ी.

हमने रास्ते में कई लाशों को देखा. यात्रा को कुछ भी नहीं हुआ क्योंकि जालंधर जिले के मूल निवासी को सीमा पार करने से ठीक पहले मेक्सिको में गिरफ्तार कर लिया गया.

कई राज्यों से अमेरिका गए थे लोग

डोनाल्ड ट्रंप सरकार द्वारा निर्वासित भारतीयों का पहला जत्था था, जिसमें 104 अवैध अप्रवासियों को लेकर एक अमेरिकी सैन्य विमान अमृतसर में उतरा. इनमें से 33-33 हरियाणा और गुजरात से, 30 पंजाब से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से और दो चंडीगढ़ से थे.

रिपोर्ट के अनुसार, निर्वासितों में उन्नीस महिलाएं और तेरह नाबालिग शामिल हैं: एक चार साल का लड़का और पांच और सात साल की दो लड़कियां.