सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में चल रहे मतदाता सूची की विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR) के मामले  पर सुनवाई की. अदालत ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी करके जवाब देने के लिए कहा है. इस दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने SIR का विरोध करने वालों पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि आप लोग SIR प्रक्रिया को लेकर इतने आशंकित क्यों हैं? आप लोग ऐसे दिखा रहे हैं जैसे देश में पहली बार वोटर लिस्ट का रिवीजन किया जा रहा है. आपकी आशंकाओं का चुनाव आयोग जवाब देगा. 

SIR की समयसीमा अव्यवहारिकः सिब्बल

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील देते हुए कहा कि चुनाव आयोग द्वारा एसआईआर के लिए निर्धारित समयसीमा अव्यावहारिक है. उनका कहना था कि लाखों फॉर्म को प्रकाशन से पहले डिजिटाइज करना संभव नहीं है. इस तरह यह पूरी प्रक्रिया सिर्फ एक दिखावा बन जाएगी. हम समझ नहीं पा रहे हैं कि इतनी जल्दबाजी क्यों की जा रही है. 

‘वोटर रिवीजन एक महीने में नहीं हो सकता’

इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने जवाब दिया कि हर कोई यथास्थिति बनाए रखना चाहता है. सिब्बल ने कहा कि यह कोई विरोधी प्रक्रिया नहीं है, लेकिन जो हो रहा है, उससे ऐसा लग रहा है कि यह टकराव वाला मामला बन गया है. एसआईआर का काम एक महीने में पूरा नहीं हो सकता. बंगाल की स्थिति तो और भी खराब है. वहां पर न 5जी है, न 4जी है, कहीं-कहीं तो कनेक्टिविटी ही नहीं है.

तो प्रक्रिया को रद्द कर देंगे

कपिल सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग कह रहा है कि एक महीने में प्रक्रिया हो जाएगी. उन्होंने कहा कि अल्टीमेटली वही होगा कि लाखों लोग वोटर लिस्ट से हटा दिए जाएंगे. इस पर कोर्ट ने कहा, ‘आपने अपना काउंटर दाखिल कर दिया है. हम नोटिस जारी कर रहे हैं. अगर हम संतुष्ट होते हैं, तो प्रक्रिया को रद्द कर देंगे. हम सभी रिट याटिकाओं पर नोटिस जारी कर रहे हैं.’ बिहार एसआईआर को लेकर कोर्ट में पहले से ही सुनवाई चल रही है.

एसआईआर की शुरुआत सबसे पहले बिहार से जून महीने में की गई थी, जिसके खिलाफ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफोर्म्स (ADR) और नेशनल फेडरेशन फॉर इंडियन वूमेन समेत कई लोगों ने याचिकाएं दाखिल कीं. हालांकि, बिहार में प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन यह मामला कोर्ट में अभी भी लंबित है.

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