कुंडली से व्यक्ति के भूत, भविष्य और वर्तमान को प्रदर्शित करती है। जन्म की तारीख, जन्मस्थान और जन्म के समय के आधार पर ग्रह नक्षत्रों की गणना होती है, जिससे कुंडली में मौजूद गुण-दोषों के बारे में पता चलता है। कुंडली प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में विशेष महत्व रखती है। कुंडली से व्यक्ति के भूत, भविष्य और वर्तमान को प्रदर्शित करती है। जन्म की तारीख, जन्मस्थान और जन्म के समय के आधार पर ग्रह नक्षत्रों की गणना होती है, जिससे कुंडली में मौजूद गुण-दोषों के बारे में पता चलता है. कुंडली से व्यक्ति के अच्छे-बुरे समय के बारे में भी पता चलता है। आज हम आपको कुंडली में मौजूद कुछ ऐसे दोषों के बारे में बताने जा रहे हैं जो सबसे खतरनाक माने जाते हैं।

काल सर्पदोष

जब किसी की कुंडली में राहु और केतु एक साथ आ जाते हैं या फिर सभी शुभ ग्रह राहु और केतु की धुरी के भीतर होते हैं तो कालसर्प दोष का बनता है। ज्योतिष में बारह तरह के कालसर्प दोष बताए गए हैं। इसे दोष के कारण व्यक्ति को अपने जीवन में कई प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है। यदि किसी की कुंडली में कालसर्प दोष हो तो उसे कार्यों में बाधा, असफलता, तनाव, परिवार में कलह आदि का सामना करना पड़ता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को गुप्त शत्रुओं का भय बना रहता है। यदि समय पर इस दोष का निवारण न किया जाए तो व्यक्ति को संघर्ष करते हुए जीवन व्यतीत करना पड़ता है। Read More – अगहन के गुरुवार : 15 खूबसूरत अल्पना रंगोली डिजाइन से करें मां लक्ष्मी का स्वागत …

मुक्ति के उपाय

चांदी के सर्प का जोड़ा बनाकर, सोमवार या शिवरात्रि या नागपंचमी को दूध में रखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। मंगलवार के दिन नाग देवता को दूध पिलाएं। मंगलवार के दिन राहु और केतु के लिए अग्नि अनुष्ठान करें। नियमित हनुमान चालीसा का पाठ करें। पंचमी तिथि के दिन 8 प्रमुख नागों की पूजा करें।

मंगल दोष

मंगल दोष को विवाह के लिए सबसे ज्‍यादा अशुभ माना गया है. जब भी जब कुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में मंगल होता है, तब मांगलिक दोष लगता है. मंगल दोष विवाह में बाधा डालता है और यदि इसके उपाय ना किए जाएं तो वैवाहिक जीवन में भी समस्‍या आती है. लिहाजा विवाह से पहले ही इसके उपाय कर लेने चाहिए, साथ ही ऐसे जातक का विवाह बहुत अच्‍छे से कुंडली मिलान करके ही करना चाहिए.

मंगल दोष के उपाय

मंगल दोष के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए मंगल ग्रह की शांति पूजा करनी चाहिए। मंगलवार के दिन व्रत रखें और हनुमान मंदिर जाकर बूंदी का प्रसाद बांटे। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें। इस दिन लाल
रंग के कपड़े पहनकर पूजा करें और हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं।

पितृ दोष

ज्योतिष के अनुसार माना जाता है कि जब किसी की कुंडली में सूर्य, चंद्र, शनि या राहु एक ही घर में उपस्थित हो तो पितृ दोष लगता है। कहा जाता है कि जिन लोगों से उनके पितर नाराज होते हैं उनकी कुंडली में पितृदोष का निर्माण होता है। ऐसी स्थिति में जातक को कार्यक्षेत्र और निजी जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पितृ दोष के कारण घर में मांगलिक कार्य संपन्न नहीं हो पाते हैं और आर्थिक रूप से हानि का सामना करना पड़ता है।

पितृ दोष से मुक्ति के ज्योतिष उपाय

सूर्य देव के सामने अपने पितरों की शांति की प्रार्थना करें। साल में एक बार किसी पवित्र नदी के किनारे पितरों के निमित्त गरीबों को भोजन दें। प्रतिदिन कौवों व पक्षियों को खाना खिलाएं। काशी और गया अवश्य जाएं और वहां अपने दिवंगत पूर्वजों का तर्पण करें। Read More – ऑलिव कलर के स्विमसूट में Monalisa ने शेयर किया Photo, 41 की उम्र में दिखाई दिलकश अदाएं …

गुरु चांडाल दोष

सबसे बड़े नकारात्मक दोषों में से एक दोष ‘गुरु-चांडाल’ दोष है. अगर कुंडली में राहु बृहस्पति एक साथ हों तो यह दोष बन जाता है. कुंडली में कहीं भी यह दोष बनता हो हमेशा नुकसान ही करता है. अगर यह लग्न, पंचम या नवम भाव में हो तो विशेष नकारात्मक होता है. गुरु-चांडाल दोष का अगर समय पर उपाय न किया जाए तो कुंडली के तमाम शुभ योग भंग हो जाते हैं. अक्सर यह दोष होने से व्यक्ति का चरित्र कमजोर होता है. इस योग के होने से व्यक्ति को पाचन तंत्र, लिवर की समस्या और गंभीर रोग होने की सम्भावना बनती है. ऐसे व्यक्ति फिजूलखर्ची में या इधर-उधर धन खर्च कर देते हैं और अपने भविष्य के बारे में ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं.

मुक्ति के उपाय

यदि किसी की कुंडली में गुरु चांडाल दोष लगा हो तो उसे प्रत्येक गुरुवार के दिन बृहस्पतिदेव और भगवान श्री हरि विष्णु का पूजन करना चाहिए। बृहस्पतिवार के दिन पीली चीजों से गुड़, चने की दाल आदि का दान करना चाहिए। गाय को पीला भोजन करवाना चाहिए। इसके अलावा प्रतिदिन गायंत्री मंत्र या ऊं गुरुवे नमः मंत्र का जाप करना चाहिए। मान्यता है कि इससे गुरु चांडाल योग के अशुभ प्रभावों से मुक्ति प्राप्त होती है।

केन्द्राधिपति दोष

स्थिति – जब भी किसी शुभ ग्रह की राशि केंद्र में होती है तो उसको केन्द्राधिपति दोष लग जाता है। इस दोष के कारण करियर, शिक्षा में सफलता हाथ नहीं लगती। साथ ही व्यवसाय संबंधित दिक्कतें हो सकती हैं।

केन्द्राधिपति दोष के ज्योतिषीय उपाय

मंदिर में प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा करें. प्रतिदिन 21 बार ॐ नमो नारायण का जाप करें. रोजाना 11 बार ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें.