सुशील सलाम ,कांकेर. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केरल के सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दे दी है, लेकिन कांकेर जिले के नरहरपुर ब्लॉक के रिसेवाड़ा गांव में आज भी बहुत से ऐसे मंदिर है जहां महिलाओं का जाना अपशगुन माना जाता है. अब इसे अंधविश्वास कहे या गांव वालों की मान्यता, लेकिन गांव वालों का कहना है कि यदि महिलाये इस मंदिर में जाती है तो गांव पर, उस महिला के परिवार पर बड़ी विपत्ति आ जाएगी. हम बात कर रहे है रिसेवाड़ा के ठाकुरदाई (उमा देवी) मंदिर की जहां महिलाओं का जाना पूर्णतः प्रतिबन्धित है. इसके पास ही शंकर पार्वती का मंदिर भी है जहां महिलाओं को मासिक धर्म के समय जाना मना है.
गांव के लोग बताते है कि प्राचीन काल से ऐसी मान्यता रही है कि ठाकुरदाई के मंदिर में यदि कोई महिला गई या उसकी परछाई भी मंदिर के पढ़ गई तो गांव में या उस महिला के घर मे बड़ी विपत्ति आती है. जिसके चलते महिलाओं को इस मंदिर से दूर रखा जाता है. यहां सिर्फ पुरूष ही पूजा अर्चना करने जाते है. आज के समय मे ऐसी मान्यता पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन इस गांव के लोग सालों से इस प्राचीन परंपरा का पालन कर रहे है.
ठाकुर दाई के मंदिर के कुछ दूर पर ही शिव पार्वती का भी मंदिर है यहां के लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर में लोग शिव पार्वती के जो भी मन्नत मांगते है वो पूरी होती है. इस मंदिर में शिव पार्वती और गणेश की काफी प्राचीन मुर्तिया है. गांव वालों का कहना है कि यहां पहले ऋषियों का गढ़ हुआ करता था. जिन्होंने ही इस मंदिर की स्थापना की थी.
इस मंदिर में निसन्तान जोड़ों की संतान प्राप्ति की मन्नत पूरी होने का दावा यहां के ग्रामीण करते है, लेकिन इस मंदिर में मासिक धर्म के समय महिलाओं का आना सख्त मना है.
ग्रामीणों का कहना है कि यदि मासिक धर्म के समय महिलाये गलती से भी इस मंदिर के पास भी आ गई, तो पूरे गांव को इसका परिणाम भुगतना पड़ता है और गांव में जंगली जानवरों का आतंक बढ़ जाता है. अब देखना यह होगा कि क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर छत्तीसगढ़ के मंदिरों में होगा.