रायपुर. 2025 छत्तीसगढ़ में राज्य निर्माण का 25वा वर्ष है. यह वर्ष रजत जयंती का वर्ष है. बीते 25 वर्षों में राज्य ने खूब तरक्की की है. राज्य ने अपने संसाधनों के बूते विकास के कई आयामों को छुआ है. उपलब्धियां हासिल की है. लेकिन उपलब्धियों और विकास के बीच राज्य में एक संकट तेजी से गहराते जा रहा है. हालांकि यह संकट वैश्विक है, लेकिन छत्तीसगढ़ जैसे राज्य, जो कि अपार खनिज संपादाओं से परिपूर्ण है उसके लिए यह बेहद ही चिंताजनक है. इसके साथ ही राज्य की एक और पहचान राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर बन चुकी, जिसे सामाजिक दृष्टि से अच्छा नहीं कहा जा सकता.
बात 25 साल के छत्तीसगढ़ में पानी के संकट और शराब की उपलब्धिता पर हो रही है. छत्तीसगढ़ आबादी के हिसाब से देश का 17वाँ बड़ा राज्य है, जबकि क्षेत्रफल में यह 9वाँ बड़ा राज्य है. भौगोलिक रूप से छत्तीसगढ़ कई राज्यों से बड़ा है, लेकिन आबादी के अनुपात में कई राज्यों से छोटा है. बावजूद इसके इस राज्य में शराब की खपत आबादी के अनुपात में सभी राज्यों से कहीं ज्यादा है.
इसे अब रजत जयंती वर्ष में छत्तीसगढ़ के हिस्से की बड़ी उपलब्धि कहे या कुछ और…लेकिन सच्चाई यह है कि देश में सर्वाधिक पीने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ अग्रणी राज्य है. और इसी राज्य की दुर्भाग्यजनक स्थिति यह है कि 25 सालों में आज यह राज्य गहराते जल संकट वाले राज्यों की श्रेणी में भी आ खड़ा हुआ है.
भारत सरकार की केंद्रीय भू-जल बोर्ड और जल शक्ति मंत्रालय की रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ जल संकट से प्रभावित राज्य है. भू-जल सर्वेक्षण रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ के कुल 146 विकासखंडों में 5 विकासखंड बेमेतरा, नवागढ़, बेरला, धरसींवा और गुरूर खतरनाक स्थिति में हैं. वहीं 21 विकासखंड बालोद, गुंडरदेही, साजा, तखतपुर, बिल्हा, धमतरी, कुरूद , दुर्ग, धमधा, गरियाबंद फिंगेश्वर, पंडरिया, चारामा, खैरागढ़, बसना, पिथौरा, पुसौर, राजनांदगांव, डोंगरगांव, डोंगरगढ़, बरमकेला, सुरजपुर सेमी क्रिटिकल स्थिति में हैं.
दअरअसल छत्तीसगढ़ में लगातार जंगलों की कटाई और खनन से राज्य का जलवायु भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. बेहताशा खनन, कटते जंगल, अत्याधिक स्पज आयरन प्लांट, नदियों में बढ़ते प्रदूषण और अवैध रेत उत्खनन से भयानक संकट की स्थिति उत्पन्न होती जा रही है.
मौसम केंद्र से प्राप्त रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य में औसतन 1,400 मिमी वार्षिक वर्षा होती है. सालाना बारिश का करीब 80 फ़ीसदी हिस्सा जून से सितंबर के बीच होता है. बाकी के महीनों में कम बारिश होने की वजह से पानी की कमी हो जाती है. लेकिन वर्ष 2024 में अक्टूबर महीने तक 1166.1 मिमी वर्ष दर्ज की गई. वहीं बीते कुछ वर्षों में दिसंबर और अप्रैल की महीने में जलवायु परिवर्तन के चलते भी अच्छी बारिश हो जाती जिससे कम वर्षा की भरपाई हो जाती थी, लेकिन 2024 के अंत और 2025 के अप्रैल माह में बारिश नहीं होने से संकट और भी ज्यादा गहरा गया है.
यही वजह है कि राज्य के ज्यादातर बांधों में कम जलभराव की स्थिति है. वर्तमान में गंगरेल में 58.59 प्रतिशत ही जलभराव है, जबकि 2024 में यह 77.93 फीसदी था. यानी इस बार 19.34 फीसदी जलभराव कम है. यही स्थिति मिनी माता बांगों की भी दिखाई दे रही है. यहां पिछले साल की तुलना में 27.53 फीसदी जलभराव कम है. मुरुमसिल्ली में पिछले बार की तुलना में इस बार करीब 38 फीसदी जलभराव कम हुआ है, प्रदेश में 12 बड़े और 34 मध्यम स्तर के बांध है.
दूसरी ओर जल जीवन मिशन योजना से भी शहरों से लेकर गांवों तक शुद्ध पेयजल पहूंचाने का काम भी संकटमय है. जिस कार्य को 2022 तक पूरा हो जाना था, उसके लिए 2028 तक समय तय कर दिया गया है. सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक राज्य में करीब 60 फीसदी काम हुआ, 40 फीसदी काम बाकी है. योजना का हाल ऐसा है कि जहाँ पानी नहींं वहां पानी टंकियां बना दी गई है. 5908 टंकियों निर्माण हुआ, लेकिन पेयजल की आपूर्ति वहां से नहीं हो रही है. ये और बात है कि शहर से लेकर गांवों तक शराब की निर्बाध आपूर्तियां जारी है.
वैसे आँकड़ों से कहीं ज्यादा आज सोशल मीडिया पर आने वाली भयावह तस्वीरों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि छत्तीसगढ़ में जल संकट की स्थिति क्या है? बिलासपुर की जीवनदायिनी अरपा में धार नहीं, पैरी-सोढ़ूर, महानदी भी अपार नहीं… इंद्रावती, हसदेव, सेंदूर, कन्हार कई स्थानों पर सूख गई हैं….केलो, लीलागर और शिवनाथ जैसी कई छोटी-बड़ी नदियों की सांसें तक टूट गई हैं.
लेकिन छत्तीसगढ़ में अगर कोई चीज न रुकी है, न टूटी है तो वो है शराब की धार… शराब की धार राज्य में अपार है. भले आपको शहरों में, गाँवों में शुद्ध पीने का पानी उपलब्ध हो या न हो, लेकिन शराब हर जगह उपलब्ध है. यही वजह कि छत्तीसगढ़ में आज पानी का संकट तो दिखता है, लेकिन शराब का नहीं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक छत्तीसगढ़ की 35 फीसदी से अधिक आबादी शराब की आदी है. देश में सर्वाधिक खपत आबादी के अनुपात में छत्तीसगढ़ में शराब की हो रही है. सर्वाधिक शराब पीने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ अग्रणी राज्य बना हुआ है.
छत्तीसगढ़ एक ऐसा भी राज्य है जहाँ शराब की होम डिलीवरी भी होती है. साथ ही मनपसंद के साथ जिस ब्रांड का शराब पीना चाहे वो भी आपके लिए उपलब्ध है. और तो और भरपुर पीने का भी प्रावधान इस राज्य में कर दिया गया है. नई आबकारी नीति के तहत 67 नई शराब दुकानें इस साल खोल दी गई है. इससे प्रदेश में शराब दुकानों की संख्या बढ़कर 741 हो गई है.
असल बात यह कि छत्तीसगढ़ में शराब से कमाई करना सरकारों की प्राथमिकता में रही है. यही वजह है कि शराब से 12 हजार करोड़ से अधिक का राजस्व का अनुमान नए वित्तीय वर्ष में रखा गया है.
वैसे अनुमान को पूर्णतः सच साबित होते आज शराब के दुकानों में उमड़ने वाली भीड़ से देखा जा सकता है. स्थिति तो यह है कि देशी भट्टी का आहता हो, या कहीं पब, होटल, बार…हर कहीं शराब की बयार है. मैं तो आज गाँव-गाँव देख रहा हूँ, जहाँ कहीं सुनसान कोई जगह हो, सड़क किनारे, नदी किनारे, तालाब किनारे पानी पाउच, डिस्पोजल, बोतल के कचरे पड़े हुए देखें जा सकते हैं.
वैसे पूर्व से लेकर अभूतपूर्व तक चुनावी नारों में गूँज पूर्ण शराबबंदी की होती रही. लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहिए कि सरकारों की प्यास शराब से ही बुझती रही है. अब लोग पानी-पानी चिल्लाए या शराब के नशे में डूब जाए. इसकी चिंता न तो समाज को ज्यादा है और न ही सरकार को. अगर होती तो जनसंख्या में बहुसंख्यक राज्यों से पीछे छत्तीसगढ़ शराब की खपत वाले राज्यों में आगे नहीं होता. बहरहाल जो कुछ भी है वो युवा छत्तीसगढ़ के लिए आदर्श स्थिति नहीं है.
फिलहाल तो यही कहा जा सकता है …
बूँद-बूँद पानी का न हिसाब लीजिए ।
भरपूर है यहाँ शराब, शराब लीजिए ।।