
Lalluram Desk. भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का तेजी से विस्तार हो रहा है, लेकिन इस क्षेत्र में कुशल पेशेवरों की कमी इसकी प्रगति में बाधा बन सकती है. एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, 2027 तक भारत में AI सेक्टर में 23 लाख नौकरियों के अवसर पैदा हो सकते हैं, लेकिन देश में मात्र 12 लाख योग्य उम्मीदवार ही उपलब्ध होंगे. यानी, करीब 10 लाख AI टैलेंट की भारी कमी होगी.
AI में बढ़ती मांग, लेकिन टैलेंट की किल्लत
ग्लोबल कंसल्टिंग फर्म Bain & Company की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि 2019 से हर साल AI से जुड़ी नौकरियों में 21% की वृद्धि हुई है, वहीं इस क्षेत्र में वेतन भी हर साल 11% बढ़ा है. लेकिन कंपनियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती कुशल AI पेशेवरों की उपलब्धता बनी हुई है.
AI अपनाने में कंपनियों के सामने ये हैं बड़ी बाधाएं
एक्जीक्यूटिव्स के सर्वे में यह सामने आया कि 44% कंपनियों के पास इन-हाउस AI विशेषज्ञों की कमी है, जिससे वे जनरेटिव AI को अपनाने में असमर्थ हैं. अन्य प्रमुख चिंताएं इस प्रकार हैं—
डेटा की गुणवत्ता और सटीकता को लेकर चिंताएं – 44%
डेटा सुरक्षा और प्राइवेसी को लेकर डर – 38%
अव्यवस्थित कंपनी डेटा – 32%
जनरेटिव AI से होने वाले लाभ को लेकर अनिश्चितता – 29%
AI टैलेंट गैप को कैसे दूर किया जाए?
Bain & Company के पार्टनर साइकत बनर्जी के अनुसार, “AI टैलेंट की यह कमी एक बड़ी चुनौती है, लेकिन इसे दूर किया जा सकता है. इसके लिए कंपनियों को पारंपरिक हायरिंग से आगे बढ़कर लगातार अपस्किलिंग पर जोर देना होगा और एक नवाचार-प्रेरित इकोसिस्टम विकसित करना होगा.”
दुनिया भर में भी है AI टैलेंट की भारी कमी
अमेरिका में 2027 तक हर दो में से एक AI नौकरी खाली रह जाएगी.
जर्मनी में 70% AI नौकरियां अधूरी रह सकती हैं.
यूके में 1.5 लाख और ऑस्ट्रेलिया में 60,000 AI पेशेवरों की कमी होगी.
भारत को क्या करना चाहिए?
भारत को AI स्किल डेवलपमेंट, रिस्किलिंग और अपस्किलिंग पर अधिक ध्यान देना होगा ताकि इस तेजी से बढ़ते सेक्टर में उपलब्ध नौकरियों को भरा जा सके और देश AI इनोवेशन में वैश्विक लीडर बन सके.