पं. वैभव बेमतरिहा, रायपुर। दक्षिण में नाग मंदिरों की कमी नहीं है। लेकिन छत्तीसगढ़ में नाग मंदिर गिने-चुने हैं। और शायद बहुत कम लोगों को पता होगा कि राजधानी रायपुर में भी एक नाग मंदिर है। राजधानी के नाग मंदिर का इतिहास भी करीब 50 साल पुराना है।  मिट्टी के ढेर से सर्प जो किला बनाते हैं उसे बाम्बी कहते हैं और छत्तीसगढ़ी में इसे भिंभौरा भी कहा जाता है। और खास बात ये कि यही बाम्बी आज भी यहां मौजूद है। और इससे भी खास ये कि सर्पों के इस किले में देर-सबेर भक्तों को नाग देव का दर्शन भी होते रहता है।

लल्लूराम डॉट कॉम की टीम भी जब नागपंचमी के मौके पर राजधानी के भीतर नाग मंदिर के तलाश में निकली, तो उन्हें प्राचीन नाग मंदिर का पता चला। ये नाग मंदिर रायपुर के शास्त्री चौक के करीब जय स्तंभ मार्ग में स्थित है। मंदिर का नाम अम्बे नागेश्वर मंदिर है। सामान्य तौर पर लोग इस मंदिर को नाम से देवी और शिव मंदिर ही समझ लेते हैं। लेकिन जो इस मंदिर की खासयित जानते हैं या जिन्हें पता है कि अम्बे नागेश्वर ही नाग मंदिर है वो नागपंचमी के दिन विशेष रूप से पूजा करने पहुँचते हैं।

मंदिर के पुजारी बृजेश द्विवेदी बताते हैं कि यहां सर्पों के घरौंदे जिसे बाम्बी कहा जाता या छत्तीसगढ़ी में भिंभौरा कहते है वो उसी स्वरूप में विद्यमान है जैसे सालों पहले मंदिर बनने से पहले था। पुजारी द्विवेदी यह भी कहते हैं कि इस बाम्बी से नागदेव भी कभी-कभी निकलकर भक्तों को दर्शन देते रहते हैं। कुछ छोटे नाग देव तो बिल से बाहर आकर उनके बिस्तर तक में भी पहुँच जाते हैं। उन्होंने कई बार नाग मंदिर में सांपों से साक्षात्कार किया है। इस मंदिर के प्रति पुजारी होने के नाते मेरी भक्ति तो है, भक्तों की मनोकामना पूरी करने वाले इस मंदिर के प्रति मेरा विश्वास भी अटूट है।

वर्तमान दौर में जहां तकनीक और विज्ञान के साथ  विश्वास भी मानों प्रमाण पर टिकी हो, वहां नाग मंदिर में बाम्बी का विशाल स्वरूप अद्भत है। कहते हैं जहां आस्था भारी हो वहां विज्ञान की कसौटी भी कमजोर पड़ जाती है। और नाग मंदिर में आने वाले हर भक्त को भले नाग देव का साक्षात्कार हो ना हो, लेकिन वे इस अनुभति के साथ ही लौटते हैं कि उन्होंने जैसे साक्षात शिव का दर्शन कर लिया हो। अगर आप भी नाग देव से साक्षात्कार करना चाहते हैं तो अम्बे नागेश्वर मंदिर एक बार जरूर जाए।