रायपुर. अाप ने कभी सुना है कि दिल की नसों में भी शार्ट-सर्किट होता है ? शायद अब तक अापने ये नहीं सुना होगा. लेकिन ये सच है. दिल की बहुत सारी नसों के उलझने और उन नसों में प्राकृतिक कवरिंग न होने के कारण वे उलझी हुई रहती है और कभी वो नसे अापस में जुड़ जाती है, जिन्हें नहीं जुड़ना चाहिए. एेसे में घर की वायरिंग के दो वायर जिन्हें अापस में नहीं जुड़ना चाहिए वह अगर जुड़ जाए तो र्शाट-सर्किट होता है वैसे ही दिल की नसें जो नहीं जुड़ने पर शार्ट-सर्किट होता है, लेकिन इसे समय रहते पहचाना जा सकता है और इसका इलाज भी संभव है.

प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल और सबसे बड़े हार्ट सेंटर में से एक एडवांस  कार्डियक इंस्टीट्यूट में एेसे ही दो मरीजों का इलाज किया गया है. इन मरीजों  के दिल में शार्ट-सर्किट होने के कारण दिल की धड़कन काफी तेज हो जाती है. इसे चिकित्सकीय भाषा में पीएसवीटी या पैरोसाइमल सुपरा वेन्टीकुलर टेकीकार्डिया कहा जाता है. भारत में इस रोग से लगभग 10 लाख लोग अनुमाति रुप से ग्रस्ति है. इसमें दिल के दोनों उपरी चेंबर की धड़कन की गति, दिल के दोनों निचले चेंबर से बहुत ज्यादा होती है. जिससे मरीज की धड़कन तेज होने के साथ-साथ परेशानी होती है, जिसमें सास फूलना, चक्कर आना और सीने में परेशानी होने की समस्या आम है.

एेसे पहचाने की दिल में हुअा है शार्ट-सर्किट

सामान्य व्यक्ति का दिल एक मिनट में 60-100 बार धड़कता है, दिल में शार्ट-सर्किट होने के बाद हार्ट बीट 180-250 प्रति मिनट तक पहुंच जाती है.यह बीमारी उस स्थिति में घातक साबित हो सकती है, जब समय पर इलाज न हो.

 एेसे किया जाता है इलाज

इस बीमारी के इलाज में  इलेक्ट्रो फिजियोलाजी स्टडी एंड रेडियो फ्रिक्वेंसी एब्लेशन विधि से उपचार किया जाता है. इसमें पैर के रास्ते से तीन तार दिल तक पहुंचाए जाते है. इसके बाद दिल के अंदर हुए शॉर्ट सर्किट का पता लगाया जाता है. पता चलने पर फिर चौथा तार दिल तक पहुंचाया जाता है.  इलेक्ट्रोड के जरिए उस भाग को जला दिया जाता है, जिसके जरिए शॉर्ट सर्किट हुआ. इसके अलावा कई कार्डियोलॉजिस्ट ठंडा करने की विधि भी अपनाते हैं.

 इन-इन डॉक्टरों ने किया उपचार

एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के डॉ स्मित श्रीवास्तव, डॉ पार्थ स्थापक, डॉ गौरव बेहरा, डॉ विकास पौददार, कैथ लैब से आईपी वर्मा, नवीन ठाकुर, निश्चेतना विभाग से डॉ प्रतिभा जैन शाह, डॉ प्रतिभा अग्रवाल, सीटीवीएस विभाग से एचओडी डॉ केके साहू, डॉ निशांत चंदेल और ब्लड बैंक से डॉ विजय कापसे सम्मिलि थे. इस इलाज के बाद डीएमई डॉ अजय चंद्राकर, डीन डॉ आभा सिंह और अंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ विवेक चौधरी ने हर्ष व्यक्त करते हुए टीम को बधाई दी.