मेरठ। किसी भी राष्ट्र के लिए उसकी भाषा एक गौरवान्वित विषय होती है। भाषा राष्ट्र निर्माण और उसकी पहचान का प्रारुप होती है। आज रविवार 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाता है। विश्वभर में निरंतर हिन्दी भाषा को एक अलग ख्याति प्राप्त हो रही है।
हिंदी से प्रेम करने वालों की संख्या विश्वभर में निरंतर बढ़ रही है। मेरठ की मूल निवासी और अब आस्ट्रेलिया के मेलबर्न में रह रहीं डॉ. मृदुल कीर्ति विश्व में हिन्दी भाषा की महत्व को बता रही है। पीएचडी कर चुकीं डॉ. मृदुल कई साल से आस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों में हिंदी की धारा आगे बढ़ा रही हैं। आस्ट्रेलिया में छह से 11 वर्ष तक के बच्चों को हिंदी वर्णमाला सिखाती हैं। कई अभिभावक भी उनसे हिंदी सीखने आते हैं। वह 15 दिन में खेल-खेल में वर्णमाला सिखा देती हैं।
डॉ. मृदुल कहती हैं कि आस्ट्रेलिया की भाषा अंग्रेजी है। वहां जन्म से बच्चे अंग्रेजी ही बोलते हैं। जो लोग भारत से रिश्ता रखते हैं, वह अपने बच्चों को हिंदी सिखाना चाहते हैं। अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के लोग भी अपने बच्चों को हिंदी सिखाते हैं। उन्हें इस बात का मलाल है कि भारत जहां हिंदी का जन्म हुआ है, वही हिंदी को कम महत्व दे रहा है। वह बताती हैं कि हिंदी जैसी वैज्ञानिक भाषा दूसरी कोई नहीं है। हिंदी वर्णमाला के रहस्य को जानने के बाद विदेशी आश्चर्यचकित हो जाते हैं।