रमेश सिन्हा, महासमुंद। “जाको राखे साइयां मार सके न कोई” ये कहावत एक बार फिर से महासमुंद जिले के पिथौरा के ग्राम ठाकुरदिया खुर्द में चरितार्थ होते दिखी. बीते दिनों शराब के नशे में चूर पिता ने अपने ही 5 साल के बेटे पर पहसुल से ऐसा वार किया कि उसके एक आंख पर गहरा जख्म हो गया. परिवार की स्थिति ठीक नहीं होने के कारण बच्चे की आंख को सुरक्षित बचाने के लिए महिला डाक्टर और समाजसेवियों ने बीड़ा उठाया. बच्चे को बेहतर इलाज के लिए उसको तत्काल रायपुर रेफर किया गया. बच्चे का इलाज फिलहाल मेकाहारा में चल रहा है.
पिथौरा थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम ठाकुरदियाखुर्द में बीते सोमवार को शराब के नशे में धुत पिता ने अपने ही 5 वर्षीय मासूम बेटे के आंखों पर पहसुल से वार कर दिया था. इस हमले में बच्चे की एक आंख बुरी तरह से जख्मी हो गई. बच्चे का इलाज रायपुर के मेकाहारा में चल रहा है. इस घटना में परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से बच्चे को बेहतर इलाज के लिए नगर की महिला डॉक्टर और समाजसेवियों ने आगे कदम बढ़ाया. सभी ने मानवता की मिसाल देते हुए मासूम जय कुमार की आंखे बचाने के लिए सराहनीय प्रयास किया है. अब मासूम को बेहतर इलाज मिल रहा है और अच्छे इलाज से उसकी आंख की रोशनी वापस लौट आएगी.
महिला डॉक्टर ने मासूम की आंख बचाने का उठाया जिम्मा
मासूम जय कुमार के साथ घटित इस घटना को देखने और सुनने वाले सिहर उठे थे. सोमवार की रात करीब साढ़े 9 बजे जब 5 वर्षीय मासूम जय सिन्हा को पिथौरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया तभी से मानवता की मिसाल दिखाई देने लगी. सबसे पहले रात्रिकालीन ड्यूटी में तैनात डॉ. अवनीश कौर ने मासूम को देखते ही भावुकता के साथ तत्काल उसका प्रथम उपचार प्रारम्भ किया.
इस संबंध में डॉ. अवनीश कौर बताती है कि उपचार करते हुए उनके जेहन में यही बात थी कि जैसे भी कर मासूम की आंख बचानी है. इस सोच के साथ उन्होंने तत्काल अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज के नेत्ररोग विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ. अभिजीत जैन को कॉल कर उन्हें बच्चे की आंख की तस्वीर भेज कर सलाह ली. इस पर डॉ. जैन ने डॉ अवनीश को सलाह दी कि मरीज का 24 घंटे के अंदर ऑपरेशन आवश्यक है. जिससे उसकी आंख बचाई जा सकती है. डॉ जैन की सलाह पर डॉ अवनीश ने तत्काल 112 में काल कर एम्बुलेंस बुलाने का प्रयास किया. परंतु 112 के काल नहीं उठाने के कारण एक निजी एम्बुलेंस चालक अनमोल को काल कर बुलाया. लेकिन निजी एम्बुलेंस वाले ने किराया की बात की तब डॉ अवनीश ने स्वयं किराया देने की पेशकश कर एम्बुलेंस बुला ली और उसमें मासूम को जिला मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजने की व्यवस्था की गई.
बच्चे को भेजने के पहले सेवा का एक और उदाहरण सामने दिखा. मासूम मरीज और उसके साथ अति गरीब परिवार की 70 वर्षीय दादी की हालत और हिम्मत देख कर एम्बुलेंस चालक ने भी डॉक्टर से किराया लेने से मना करते हुए इसे अपनी ओर से इसे सेवा बताया. इसके बाद डॉ अवनीश ने रायपुर के मेकाहारा में अपने बैच के डॉक्टरों को कॉल कर उसे रात में ही तत्काल भर्ती कर उपचार प्रारम्भ करवा दिया. जिसका सुबह नेत्र रोग विशेषज्ञ टीम ने पहले बांयी आंख का ऑपरेशन कर उसे सफल बताया. अब जल्द ही दाहिनी आंख का ऑपरेशन के बाद मासूम के आंखों की रोशनी लौटने की संभावना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉक्टरों ने व्यक्त की है.
समाजसेवी व्यवस्था में जुटे रहे
नगर के समाजसेवी राजेश चौधरी उक्त घटना के बाद रात से ही एम्बुलेंस के लिए प्रयासरत थे. रात करीब साढ़े 10 बजे डॉक्टर द्वारा एम्बुलेंस की व्यवस्था करवाने के बाद राजेश चौधरी स्वयं रायपुर पहुंचकर जय की ओडिसा निवासी बुआ को पिथौरा के कुछ समाजसेवियों द्वारा दी गयी आर्थिक सहायता प्रदान कर लगातार पीड़ित परिवार के संपर्क में रह कर उपचार में सहयोग कर रहे है.
वहीं समाज सेवक आकाश अग्रवाल ने सोशल मिडिया मे बच्चे की लिए मदद मांगी. देखते ही देखते मदद केलिए 20 हजार रुपये जमा हो गए. आकाश अग्रवाल ने मासूम बच्चे की दादी को रुपये सौंप दिए. बहरहाल, नगर में मेडिकल स्टाफ से समाजसेवियों तक सभी के सहयोग से घटना में आंख गंवाने की संभावना को दरकिनार कर मासूम के आंखों की रोशनी वापसी की ओर है. इस सामूहिक प्रयास की चर्चा क्षेत्र में व्याप्त है. सुनने वाले लोग इसकी सराहना भी कर रहे है.
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