दिल्ली के लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं, जबकि बीजेपी और कांग्रेस इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी की सरकार पर आरोप लगा रहे हैं. स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि कई इलाकों में पानी के टैंकर आते ही लोग टूट पड़ते हैं. दृश्य स्पष्ट रूप से समस्या की गंभीरता को दर्शा रहे हैं.

 दिल्ली सरकार का कहना है कि हरियाणा से पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है, जिससे जल उपचार संयंत्र (डब्ल्यूटीपी) अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहे हैं. दिल्ली की जल मंत्री आतिशी ने हरियाणा सरकार से यमुना और मूनक नहर में पर्याप्त पानी छोड़ने की अपील की है ताकि दिल्लीवासियों की परेशानी कम हो सके.

 आतिशी ने वजीराबाद जलाशय और जल उपचार संयंत्र का निरीक्षण किया और बताया कि हरियाणा से यमुना और मूनक की उप नहरों (सीएलसी और डीएसबी) में पर्याप्त पानी नहीं छोड़ा जा रहा है. वजीराबाद जलाशय का सामान्य जल स्तर 674.5 फीट होना चाहिए, जो अब घटकर 668 फीट रह गया है. इससे वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला डब्ल्यूटीपी को सुचारू रूप से चलाने के लिए जलाशय में सीएलसी का पानी मिलाना पड़ रहा है. जून के पहले सप्ताह में दिल्ली के नौ डब्ल्यूटीपी और रेनीवेल और ट्यूबवेल से 1,003 से 1,005 एमजीडी पेयजल मिल रहा था, जो अब घटकर 917 एमजीडी रह गया है, यानी 87 एमजीडी की कमी है.

 दिल्ली के गीता कॉलोनी क्षेत्र में पानी की आपूर्ति टैंकरों से की जा रही है और लोग पानी के लिए लाइन में लग जाते हैं. वसंत विहार के कुसुमपुर पहाड़ी क्षेत्र में भी लोग पानी के संकट से जूझ रहे हैं और टैंकरों पर निर्भर हैं. ओखला इलाके में भी टैंकरों से पानी की आपूर्ति हो रही है और लोगों की लंबी कतारें लग रही हैं.

 एनडीएमसी ने पानी बचाने और उसका विवेकपूर्ण उपयोग करने की अपील की है. उपभोक्ताओं को सीमित आपूर्ति का सावधानीपूर्वक उपयोग करना चाहिए. जल संरक्षण का मतलब है कि आवश्यक मात्रा में पानी का उपयोग करना, हर रिसाव को ठीक करना और पानी की बर्बादी रोकना. कम पानी का उपयोग कर अधिक लाभ प्राप्त करने की विधियां विकसित करना और एक बार उपयोग किए गए पानी को पुनः उपयोग में लाना भी जल संरक्षण का हिस्सा है. उन्होंने कार धोने के लिए पीने के पानी का उपयोग न करने की भी सलाह दी है.