कर्नाटक के चित्तापुर में आज यानी दिवाली पर होने वाली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पंथ संचलन (मार्च) निकालने की अनुमति नहीं मिली है। दूसरी ओर कर्नाटक हाईकोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 24 अक्तूबर को करेगी। ऐसे में अब इस मामले में सियासत तेज हो गई है। कर्नाटक सरकार के मंत्री और स्थानीय विधायक प्रियांक खरगे ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि चिट्टापुर में सिर्फ आरएसएस ही नहीं, बल्कि भीम आर्मी, दलित पैंथर्स और एक नागरिक मंच को भी मार्च निकालने की अनुमति नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि कई संगठन एक साथ मार्च करना चाहते थे, जिससे कानून-व्यवस्था पर असर पड़ सकता था।

प्रियांक खरगे ने आरोप लगाया कि आरएसएस के कुछ कार्यकर्ताओं ने मुझे गालियां दीं और जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद ही उन्होंने मार्च का एलान किया। अगर कोई जनप्रतिनिधि को धमकाएगा तो इससे अन्य संगठन भी उकस सकते हैं। ऐसे में मेरी जिम्मेदारी बनती है कि कुछ गलत न हो। उन्होंने कहा कि अगर कोई संगठन मार्च करना चाहता है, तो पहले उसे यह साबित करना चाहिए कि वह कानूनी रूप से पंजीकृत है। अभी तक किसी स्थानीय व्यक्ति ने पुलिस से अनुमति नहीं मांगी है। सिर्फ मुख्यालय से पत्र भेजकर सूचना दी गई है।

आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने क्या कहा?

वहीं इस मामले में आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि देश में हर सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संस्था को अपने विचार रखने का संवैधानिक अधिकार है। आजादी से पहले भी ये अधिकार थे। अगर कर्नाटक सरकार लोकतंत्र की रक्षा के नाम पर लोकतंत्र को ही खत्म करने लगे, तो ये चिंता का विषय है। न्यायपालिका हमेशा लोकतंत्र की रक्षक रही है और रहेगी।

वीएचपी नेता विनोद बंसल ने भी राज्य सरकार पर बोला हमला

इसके साथ ही इस मामले में वीएचपी नेता विनोद बंसल ने भी कर्नाटक सरकार पर जोरदार निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री के नाम में राम, पत्नी के नाम में पार्वती है, फिर भी वे लोगों को सनातनियों से दूर रहने की सलाह देते हैं। उनके मंत्री सनातन को मलेरिया और डेंगू बताकर आरएसएस और बजरंग दल पर बैन की बात करते हैं। ऐसी सोच से जनता भी उनसे दूर हो जाएगी।

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