श्रावण मास के शुक्लपक्ष की जिस पंचमी तिथि पर नागों की विशेष रूप से पूजा की जाती है, इस साल नागपंचमी का यह पर्व सोमवार 21 अगस्त को मनाया जाएगा. नाग देवता के विभिन्न स्वरूपों और मंदिरों में दर्शन और पूजन का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. देश के उन 7 प्रसिद्ध नाग मंदिर के बारे में जानते हैं, जिनके दर्शन मात्र से कुंडली का कालसर्प और जीवन से जुड़ा सर्पदंश दोष दूर हो जाता है.

उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर – सप्तपुरियों में से एक उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर में नाग देवता का प्रसिद्ध मंदिर है जो कि पूरे साल में सिर्फ एक बार नाग पंचमी के दिन खुलता है. हिंदू मान्यता के अनुसार इस मंदिर में तक्षक नाग विराजमान हैं. महाकाल के मंदिर में नागचंद्रेश्वर के दर्शन तीसरी मंजिल स्थित मंदिर में होते हैं, जहां पर नाग देवता भगवान शिव के गले में लिपटे हुए हैं.

प्रयाग राज का तक्षक नाग मंदिर – हिंदू मान्यता के अनुसार पाताल लोक में रहने वाले 8 प्रमुख नागों में एक तक्षक नाग को सर्पजाति का स्वामी माना गया है. इनसे जुड़ा पावन तीर्थ उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर में स्थित है. तक्षक नाग से जुड़े तक्षकेश्वर महादेव मंदिर के बारे में मान्यता है कि नागपंचमी के दिन यहां दर्शन मात्र से कुंडली का कालसर्प दोष एवं सर्पदंश दोष दूर हो जाता है.

पटनीटॉप का नाग मंदिर – नाग देवता का आठ दशक से पुराना मंदिर जम्मू के पटनीटाप में स्थित है. हिंदू मान्यता के अनुसर इस मंदिर में नाग देवता की पूजा करने पर व्यक्ति के जीवन से जुड़े कष्ट दूर और कामनाएं पूरी होती हैं. यही कारण है कि नागपंचमी के पावन पर्व पर यहां पर नागदेवता के भक्तों की भारी भीड़ पहुंचती है. मान्यता है कि यहां पर कभी इच्छाधारी नाग देवता ने ब्रह्मचारी रूप में कठिन तप किया था और उसके बाद उन्होंने यहां पर पिंडी रूप धारण कर लिया था. तब से यहां पर महिलाओं का प्रवेश मना है.

उत्तराखंड का धौलीनाग मंदिर – नाग देवता का यह पावन तीर्थ उत्तराखंड के बागेश्वर में स्थित है. धौलीनाग मंदिर का संबंध कालिया नाग से जुड़ा हुआ है. हिंदू मान्यता के अनुसार धौली नाग कालिया नाग के सबसे बड़े पुत्र हैं. जिनकी पूजा करने के लिए लोग बड़ी संख्या में नागपंचमी के दिन इस मंदिर में पहुंचते हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि धौलीनाग की पूजा करने पर उनकी तमाम तरह की प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा होती है.

प्रयागराज का नाग वासुकी मंदिर – उत्तर प्रदेश की संगम नगरी कहलाने प्रयागराज में नाग वासुकी का मंदिर गंगा नदी के किनारे दारागंज मोहल्ले में स्थित है. इस मंदिर में नाग पंचमी के दिन भक्तों की भारी भीड़ दर्शन एवं पूजन के लिए पहंचती है. हिंदू मान्यता के अनुसार नागवासुकि मंदिर में पूजा करने पर व्यक्ति की कुंडली में स्थित कालसर्प दोष दूर हो जाता है. नाग पंचमी के दिन लोग इस मंदिर में जाकर नाग देवता को दूध एवं गंगाजल चढ़ाकर अपने परिवार की खुशहाली की कामना करते हैं.

नैनीताल का कर्कोटक नाग मंदिर – उत्तराखंड के प्रसिद्ध नाग मंदिरों में नैनीताल का करकोटक मंदिर शामिल है. नाग देवता के इस मंदिर को भीमताल का मुकुट कहा जाता है. पहाड़ के घने जंगलों में स्थित इस मंदिर में नागपूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. मान्यता है कि कर्कोटक मंदिर में पूजा करने पर व्यक्ति के जीवन से सर्पदंश का दोष दूर हो जाता है. इस मंदिर में लोग दूर-दूर से कालसर्प दोष की पूजा कराने के लिए पहुंचते हैं.