नई दिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए किया गया लॉकडाउन से देश की अर्थव्यवस्था को हर स्तर पर प्रभावित कर रहा है. ऐसे में देश की रीढ़ माने जाने वाले कृषि क्षेत्र के लिए मोदी सरकार ने जो तीन महत्वपूर्ण घोषणाएं की है, वह देश में कृषि की तस्वीर को ही बदलकर रख देंगे. जानकारों का कहना है कि यह कदम तो मोदी 1.0 में ही उठा लेना था, लेकिन अब भी कोई देर नहीं हुई है.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने शुक्रवार को मीडिया से चर्चा में 11 बातें कही थी, जिनमें से आठ बातें लॉकडाउन की वजह से परेशानी में पड़े किसानों की राहत के लिए रुपए-पैसों की सहायता को लेकर था, लेकिन अंतिम तीन बातें, या कहें घोषणाएं दशकों से बने कानूनों में सुधार को लेकर थी, जिनमें आमूलचूल बदलाव किया जा रहा है. इनमें सबसे पहला 1955 में बनाया गया आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव, दूसरा किसानों को देश के किसी भी हिस्से में अपना फसल बेचने की आजादी और तीसरा कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी है.

केंद्र सरकार के इन तीनों ही कदमों को कृषि और कृषि उद्योग से जुड़े लोग और विशेषज्ञ ऐतिहासिक बता रहे हैं. कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कास्ट्स एण्ड प्राइजेस (CACP) के पूर्व चेयरमैन अशोक गुलाटी इन तीनों घोषणाओं को बिग टिकट आइटम बताते हैं. वे कहते हैं कि मैं इनकी बीते 20 सालों से मांग करता आ रहा हूं. यह पूरी तरह से सकारात्मक कदम है. मैं तो इसके लिए सरकार को बधाई देना चाहूंगा, लेकिन साथ ही यह कहना भी चाहूंगा कि इसे तो मोदी 1.0 में ही कर लेना था, भले ही इसे अब जाकर किया गया हो. इसे मैं कोरोना गिफ्ट मानता हूं.

आखिर इन तीन सुधारों में ऐसा क्या है, जिससे देश में कृषि की तस्वीर बदलने की बात कही जा रही है. इनमें पहला आवश्यक वस्तु अधिनियम है, जिसे आवश्यक वस्तुओं या उत्पादों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ उसकी जमाखोरी और कालाबाजारी रोकने के लिए बनाया गया था. इसमें से दलहन, खाद्य तेल, तेल बीज, तिलहन, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्पादों को हटाया जा रहा है. इसके अलावा राष्ट्रीय आपदा, अकाल की विशेष स्थिति में स्टाक लिमिट तय किया जाएगा.

दूसरा किसानों को अपने उत्पाद को बेचने की छूट से जुड़ा हुआ है. इसके लिए एग्रीकल्जचर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (APMC) के लाइसेंसी को किसान फसल बेचने के लिए बाध्य नहीं रहेगा. नए कानून में किसानों को अपने उत्पाद को आकर्षक कीमत पर बेच सकेगा, इसके लिए वह दूसरे राज्य में भी अपनी फसल बेच पाएगा, याने बेरियर फ्री इंटर स्टेट ट्रेडिंग की किसानों को छूट मिलेगी. इसके अलावा कृषि उत्पादों को बेचने ई-ट्रेडिंग का फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा.

इसके अलावा कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र को भागीदारी बनाया जाएगा, जिससे किसान अपनी फसल को अच्छे मूल्य पर सीधे बड़े रिटेलर – एक्सपोर्टर को सही और पारदर्शी तरीके से बिक्री कर पाए. इसके लिए निजी क्षेत्र को कोल्ड स्टोरेज से लेकर कृषि से जुड़ी अन्य प्रक्रियाओं में निवेश करने की छूट दी जाएगी. इससे एक तरफ जहां कृषि उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार आने की उम्मीद है, वहीं किसानों को निश्चित आय का भरोसा रहेगा.