लटोरी। आज पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी एस सिंहदेव की अध्यक्षता में ग्राम लटोरी, सूरजपुर में पेसा कानून पर परिचर्चा आयोजित की गई। इस परिचर्चा को संबोधित करते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी एस सिंहदेव ने कहा कि 1990 के दशक में पंचायती राज कानून बनने के बाद यह तय किया गया कि आदिवासी क्षेत्रों को विशेष संरक्षण की आवश्यकता है। भारत की संसद ने पेसा कानून के बिल को पारित किया परन्तु बिना नियमों के बना कानून केवल कागज़ के टुकड़े समान होता है, इस विषय पर गंभीरता से विचार कर कुछ राज्यों ने नियम बनाकर इसे लागू भी किया लेकिन दुर्भाग्यवश छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार इनके नियम बनाने में असमर्थ रही जिससे यह कानून प्रदेश में लागू नहीं हो पाया है। उन्होंने आगे कहा कि चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी ने यह वादा किया था कि हमारी सरकार बनते ही हम नियमों को प्राथमिकता देंगे एवं पेसा कानून प्रदेश में लागू करवाएंगे, आज जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है तब हम आप सभी के बीच नियमों पर परिचर्चा करने के लिए मौजूद हैं।

एक इकाई को अधिकार मिलने का मतलब यह नहीं कि अन्य इकाइयों के अधिकार कम हो जाएंगे : सिंहदेव

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी एस सिंहदेव ने कहा कि पिछले वर्षों में छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही जब उन्होंने पेसा कानून के नियम बनाने में संकोच किया, शायद उस समय राज्य सरकार को यह डर रहा कि उनके अधिकार सीमित हो जाएंगे। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार ग्राम पंचायतों के आने से लोकसभा-विधानसभा भंग नहीं हो जाती उसी प्रकार किसी एक इकाई को अधिकार मिलने से दूसरी इकाई के अधिकार पर फर्क नहीं पड़ता है। आगे पेसा कानून पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा एक मॉडल नियम एवं राज्य शासन के अधिकारियों द्वारा भी नियमावली तैयार है लेकिन क्षेत्रीय नियमों के लिए स्थानीय आमजनों से सुझाव आवश्यक हैं, जिसके लिए हम विभिन्न क्षेत्र के आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पेसा को लेकर अलग-अलग राज्यों के लिए नियम बनाये हैं जिन्हें राज्य की परिस्थिति के अनुरूप लागू किया जाना है, गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों ने इन नियमों को संशोधित करते हुए राज्य में लागू किया है। हमारी प्राथमिकता है कि हम आप सभी आदिवासी समाज के लोगों के सुझाव एकत्रित करके इन नियमों को बजट सत्र तक विधानसभा में पेश करें।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि इन बैठकों में पेसा कानून के 37 बिंदुओं पर आदिवासी समाज से प्राप्त सुझावों को लिपिबद्ध करने का कार्य किया जा रहा है जिसके उपरांत वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा पुनः अवलोकन कर विधानसभा में कानून बनाने के लिए पेश किया जाएगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी एस सिंहदेव ने विशेष जोर देते हुए कहा के ग्राम पंचायतें ग्रामसभा के प्रति उत्तरदायी होंगी, जिसके लिए हमें प्रमुख नियमों एवं पेशा कानून के ढांचे पर चर्चा करने की आवश्यकता है।

3 जिले के 19 ब्लॉक से आये आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने पेसा कानून पर दिए सुझाव

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी एस सिंहदेव के संबोधन उपरांत सर्व आदिवासी समाज से सुझाव लेने की प्रक्रिया शुरू हुई जिसमें 3 जिले के 19 ब्लॉक से आए सर्व आदिवासी के प्रतिनिधियों ने विस्तारपूर्वक अपने सुझाव उनके समक्ष रखे। प्रतिनिधियों ने ग्रामसभा सहायक सचिव की नियुक्ति, सभापति/अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया, ग्राम सभा में लिए गए निर्णय पर आपत्ति, पारंपरिक रीति-रिवाजों व संस्कृति के संरक्षण की व्यवस्था, मादक पदार्थों के विक्रय पर नियम, नियमों का पालन ना करने के की स्थिति में कार्रवाई का प्रावधान, आदिवासी समाज की लड़की द्वारा गैर आदिवासी लड़के से विवाह करने के संबंध में प्रावधान, जल प्रबंधन के अधिकार, गौड़ खनिज पर ग्राम सभा की अनुमति आदि पर सुझाव रखे। इसके उपरांत पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी एस सिंहदेव ने कार्यक्रम का समापन करते हुए कहा कि आदिवासी समाज में इस प्रकार की जागरूकता देखकर हर्ष की अनुभूति होती है आप सभी के सुझाव विचार योग्य हैं एवं हम इन्हें लिपिबद्ध कर आगे चर्चा करेंगे। इस कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा एवं आदिम जाति-जनजाति विकास मंत्री डॉ प्रेम साय सिंह, विधायक लुंड्रा डॉ प्रीतम राम जी, विधायक भटगांव पारसनाथ राजवाड़े, श्रम कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष शफी अहमद, जिला पंचायत सरगुजा अध्यक्ष मधु सिंह, जिला कांग्रेस सरगुजा अध्यक्ष राकेश गुप्ता एवं सूरजपुर जिलाध्यक्ष भगवती राजवाड़े सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे।