नीरज काकोटिया, बालाघाट। मध्य प्रदेश के बालाघाट के दूरस्थ गांव में रहने वाला महज 18 साल का लड़का मिथलेश मुसरे मिट्टी से बेहद ही आकर्षक मूर्तियां बनाता है। उन मूर्तियों को खुद ही अपने हाथों से बड़ी ही खूबसूरती से सजाता भी है। इस शारदे नवरात्र में भी उसने दुर्गा जी की मूर्ति बनाई है।
कहते है न कि प्रतिभा न पहचान की मोहताज होती है और न ही उम्र की। कुछ ऐसी ही प्रतिभा बालाघाट से लगभग 40 किमी दूर सेवती गांव में रहने वाले मिथलेश मुसरे के पास की है। दरअसल मिथलेश के परिवार में न तो कोई मूर्तिकार है और न ही कोई मूर्ति बनाना जानता है। फिर भी मिथलेश मिट्टी की बेहद ही खूबसूरत और आकर्षक मूर्तियां बनाता है।
मिथलेश ने बताया कि, उसे बचपन से ही मूर्ति बनाने का शौक रहा है। जब वह बचपन में दूसरे मूर्तिकारों को मूर्ति बनाते देखता था तो वह घर में आकर मिट्टी से कभी शिवलिंग बनाता तो कभी कोई मूर्ति। मिथलेश की इस रुचि को देख घर वाले भी उसे पूरा सहयोग करते थे। जिसका परिणाम यह हुआ की आज उसे और उसकी कलाकारी को सब जानने लगे है।
मिथलेश ने बताया कि, जब वह पांचवी क्लास में था उसने पहली बार मिट्टी की 3 से 4 फीट ऊंची भगवान गणेश जी की मूर्ति बनाई थी। जिसे गांव में पंडाल में विराजित किया गया था। जिससे उसकी रुचि और बड़ने लगी और फिर वह धीरे धीरे भगवान गणेश, कृष्ण जी, दुर्गा जी, सरस्वती जी की मूर्ति बनाने लगा। धीरे-धीरे उसे सब जगह से मूर्ति बनाने के ऑर्डर मिलने लगे। वह अकेले ही 7 से 8 फिट ऊंची ऊंची मूर्ति बनाता है और उन मूर्तियों को खुद ही सजाता है।
इस बार भी मिथलेश ने ऑर्डर पर बेहद ही खूबसूरत और आकर्षक दुर्गा जी की मिट्टी से मूर्तियां बनाई है। बड़ी बात यही है कि वो मूर्ति बनाने में किसी सांचे का प्रयोग नहीं करता। बल्कि हाथ से ही मूर्तियों को पूरी आकृति देता है। उसका सपना है की वो आगे चलकर एक बड़ा मूर्तिकार बनाना चाहता है।
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