दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों और वकीलों के बीच कभी-कभी मजाकिया दौर भी देखा जाता है। ऐसा ही कुछ चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और वरिष्ठ वकील राजीव धवन के साथ बुधवार को देखने को मिला। यहां इन दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला कुछ यूं हुआ कि सीजेआई ने कहा कि वे वकीलों को उनकी कुर्सी से उठाकर बात नहीं करते हैं, वे जब बैठे रहते हैं तब उनसे बात करते हैं। हम उन्हें खड़ा करवाकर बात नहीं करते हैं, हम बैठ कर उनसे बात करते हैं।
धवन ने कहा कि अगर ऐसा है तो हमें इस बारे में चेतावनी दी जानी चाहिए थी। बता दें कि गोगोई जब लंच के बाद कोर्ट में दाखिल हुए उस दौरान राजीव धवन और उनके बीच मजाक-मजाक में ये बातचीत का दौर चला।
दरअसल इसके 1 घंटे पहले जब कोर्ट में लंच ब्रेक हुआ तो सीजेआई समेत सभी लंच के लिए उठ खड़े हुए, उसी दौरान धवन ने कुछ बोलना चाहा लेकिन सीजेआई वहां से निकल गए। दोबारा कोर्ट शुरु होने पर सीजेआई गोगोई ने धवन से पूछा कि, हां मिस्टर धवन आप लंच से पहले कुछ कहना चाह रहे थे। इस पर वरिष्ठ वकील ने कहा कि- नो माइ लॉर्ड, कुछ नहीं। मैंने उस दौरान कुछ कहना चाहा था लेकिन आप चले गए, इसलिए अब मुझे कुछ कहना नहीं है।
इसके बाद सीजेआई ने अपनी बात क्लीयर करते हुए कहा कि जब आप कुछ कहना चाह रहे थे तब पहले से ही हम अपनी कुर्सियों से उठ चुके थे। इसलिए मेरे खयाल से जब सभी उठ खड़े हुए हों तब बातचीत करना मुनासिब नहीं है। धवन ने इस पर कहा कि हालांकि मुझे नहीं पता कि क्या मुनासिब है और क्या नहीं..लेकिन मैं ये कह सकता हूं कि यहां अलग-अलग मुख्य न्यायाधीशों की अलग-अलग नीति होती है।
यहां सीजेआई ने फिर से कहा कि हम खड़े होकर वकीलों से बात नहीं करते हैं, हम बैठ कर इत्मीनान से वकीलों से बातचीत औऱ चर्चा करते हैं। जब हम खड़े हों हम बात नहीं करते हैं। बता दें कि धवन यहां अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में अल्पसंख्यकों के मुद्दों को लेकर चीफ जस्टिस से बात करना चाह रहे थे।
सीजेआई और धवन के बीच जारी इस मजाकिया दौर के बाच सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वकील इस केस के स्थगन की मांग कर रहे हैं। मेहता ने कहा कि चूंकि अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल का स्वास्थ्य अभी अच्छा नहीं चल रहा है इसलिए दोनों तरफ के पार्टियों ने केस के स्थगन की मांग की।