लखनऊ. अधिकारी अपनी संवेदनहीनता के कारण अक्सर लोगों के निशाने पर रहते हैं लेकिन एक जिले का कलेक्टर जब इंसानियत की ऐसी मिसाल पेश कर दे जो आजकल मिलना मुश्किल है तो तारीफ तो बनती है भाई. बस, इस कलेक्टर की भी हरकोई तारीफ ही कर रहा है.
कहानी किसी फिल्म सरीखी है. फैजाबाद के कलेक्टर हैं डा. अनिल कुमार पाठक. करीब 15 दिन पहले ये नेशनल हाइवे से अपने जिले का दौरा करने निकले. देखा कि सड़क के किनारे लावारिस हालत में एक बुजुर्ग महिला जख्मी हालत में पड़ी हैं. दरअसल, उन बुजुर्ग महिला को किसी लापरवाह वाहन चालक ने घायल कर दिया था. अम्मा लावारिस थी लेकिन इतने में अनिल कुमार पाठक की नजर उन अम्मा पर पड़ी. कलेक्टर साहब ने तुरंत गाड़ी रुकवाई औऱ अपनी गाड़ी से उन अम्मा को जिला अस्पताल पहुंचाया औऱ अपने सामने इलाज शुरु कराया.
डाक्टरों ने बताया कि हालत गंभीर है औऱ फैजाबाद में उन अम्मा का इलाज मुमकिन नहीं है तो कलेक्टर साहब ने उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े औऱ मशहूर केजीएमसी से डाक्टरों की टीम बुलाई औऱ उन असहाय औऱ बेसहारा अम्मा का इलाज कराया. कलेक्टर साहब का अब रोज का नियम बन गया था कि वे अस्पताल आते और उन बुजुर्ग अम्मा का हालचाल लेते और उनको ‘अम्मा’ कहकर बुलाते.
जिसे अपने बेटों ने दर-दर की ठोकरें खाने को सड़क पर फेंक दिया हो. उसे जिले का सबसे ताकतवर आदमी अम्मा कहकर मां जैसा सम्मान दे तो कौन ऐसे प्यार औऱ स्नेह पर नहीं मर मिटेगा. कलेक्टर साहब का अम्मा को लेकर ये प्रेम पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया. खैर, कलेक्टर साहब की लाख कोशिशों के बाद भी अम्मा को बचाया नहीं जा सका औऱ 15 दिन बाद उनका निधन हो गया.
कलेक्टर साहब ने एक अच्छे बेटे का पूरा फर्ज निभाया औऱ न सिर्फ अपनी अम्मा को मुखाग्नि दी बल्कि वो सारे कर्मकांड किए जो एक बेटे को करने चाहिए थे. कलेक्टर साहब की आंखे नम थी लेकिन उस श्मशान घाट पर मौजूद हर शख्स रो रहा था. उस अम्मा के लिए जो अपना बेटा छोड़कर चली गई औऱ उस बेटे के लिए जिसने अपनी अम्मा खो दी.
अनिल कुमार पाठक अपनी भलमनसाहत के लिए जाने जाते हैं. पहले भी उन्होंने अपनी संवेदनशीलता से लोगों के दिल में जगह बनाई. इस बार उन्होंने कुछ ऐसा कर दिया कि हर मां यही ख्वाहिश लेकर बैठी है. काश उसका भी अनिल जैसा एक बेटा होता. हमारी तरफ से इस संवेदनशील अफसर के लिए इतना ही, जियो कलेक्टर जियो.