रायपुर.  कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पी एल पुनिया ने बड़ा बयान दिया है. पुनिया ने कहा है कि 2013 में हुए जीरम घाटी नरसंहार में पब्लिक परसेप्शन के अनुसार अजीत जोगी और रमन सरकार का हाथ था. पुनिया ने ये भी कहा है कि अजीत जोगी के लिए कांग्रेस के दरवाजे हमेशा के लिए बंद कर दिए गए हैं. इधर पीएल पुनिया के बयान पर मंत्री राजेश मूणत ने पलटवार किया है. मूणत ने कहा है कि पुनिया उत्तर प्रदेश से आते हैं. उत्तर प्रदेश की ऐसी संस्कृति रही होगी. वही उत्तर दे सकते हैं इन सब चीजों का…बीजेपी का स्पष्ट मत है कि अगर उनके पास कोई दस्तावेज है. मामले से जुड़ा कोई तथ्य है, तो वे थर्ड पार्टी बनकर कोर्ट जाए…सिर्फ राजनीति करनी है, आरोप-प्रत्यारोप करना है. शहीद नेता की आड़ में राजनीति करने वालों से आग्रह करना चाहता हूँ कि उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देना चाहते हैं तो दस्तावेजों को जांच एजेंसी के सामने प्रस्तुत करें, ताकि गलत लोग जिन्होंने घटना को प्रश्रय दिया वो जनता के सामने बेनकाब हो सकें.

इधर इस  मामले पर कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा कि-

झीरम घाटी की घटना जिस वक्त घटी, उस वक़्त घटनास्थल से सुरक्षा क्यों हटाई गई? विधानसभा में सीबीआई जांच का एलान किये जाने के बाद जांच क्यों नहीं की गई? शहीदों के परिजनों को गृहमंत्री से मिलाने का आश्वासन देने के बाद भी मुख्यमंत्री ने क्यों नहीं मिलाया? इन सब सवालों का जवाब सरकार को देना चाहिए

 

जीरम घाटी पर एक बार फिर मचे सियासी घमासान के बीच बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष सुनील सोनी ने कहा –

पुनिया ने 5 साल बाद कहा कि झीरम घाटी हमले में अजीत जोगी का हाथ था. जिस समय ये घटना घटी उस वक़्त अजीत जोगी कांग्रेस के नेता थे. दस जनपथ के करीबी थे. उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. घटना के वक़्त मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी रायपुर आये थे. उस वक़्त केंद्र सरकार का कार्यकाल करीब डेढ़ साल बचा था. जिन तथ्यों के आधार पर पुनिया ने जो बातें कहीं है, उन तथ्यों को जनता जानना चाहती है. इन तथ्यों को उन्हें सामने रखना चाहिए. रमन सरकार पर जिस तरह से गलत आरोप लगाए गए उन आरोपों पर पी एल पुनिया, टी एस सिंहदेव और भूपेश बघेल माफी मांगे.

 

 

गौरतलब है कि 2013 में जीरम घाटी नक्सली हमले में  कांग्रेस तत्तकालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, वरिष्ठ नेता वीसी शुक्ल, महेन्द्र कर्मा समेत कई नेता और कार्यकर्ताओं की निर्मम हत्या कर दी गई थी.