मुरैना. सरकारें अपने सैनिकों को लेकर कितनी उदासीन हैं इसका नमूना है मुरैना के तरसमा गांव निवासी सीआरपीएफ जवान मनोज तोमर की कहानी. एक होनहार औऱ निडर जवान नक्सलियों से सीधा मोर्चा लेता है, सीने पर सात गोली खाता है औऱ उनको अपने हौसलों से हरा देता है लेकिन वो जवान देश के सिस्टम से हार जाता है. लल्लूराम डॉट कॉम  ने इस जवान को इंसाफ देने की मुहिम चलाई है औऱ हमने फैसला किया है कि हम इस जवान की कहानी हर उस मंच तक ले जाएंगे जहां इसे इंसाफ मिलेगा.

साहस औऱ जज्बे की कहानी है मनोज तोमर की यात्रा

छत्तीसगढ़ का सुकमा जिला अपनी नक्सली वारदातों के लिए कुख्यात है. आए दिन नक्सली हमले होना औऱ होनहार सैनिकों का उन हमलों में जान गवां देना सरकार औऱ हुक्मरानों के लिए आम बात है. ऐसे ही 11 मार्च 2014 को सीआरपीएफ के जवान मनोज तोमर सुकमा जिले के दोरनापाल थाना क्षेत्र में अपनी ड्यूटी निभा रहे थे. उनकी टीम सुबह से सर्चिंग के लिए झीरम घाटी की तरफ निकल पड़ी. उसी दौरान वहां घात लगाकर बैठे 300 से भी ज्यादा नक्सलियों ने सीआरपीएफ की टीम पर अंधाधुंध फायरिंग शुरु कर दी. इस अचानक हुए हमले में सीआरपीएफ के 11 बहादुर जवान शहीद हो गए. मनोज ने नक्सलियों से बहादुरी से लोहा लिया और सिर्फ वही इस हमले में जिंदा बच सके.

मनोज को नहीं पता था कि जिंदा बचने के बाद उनकी जिंदगी नरक से भी बदतर हो जाएगी. हमले के दौरान उनके पेट में सात गोलियां लगी थी, सरकार ने रायपुर के नारायणा अस्पताल में उनका इलाज कराया. क्योंकि इस अस्पताल का अनुबंध सरकार के साथ है औऱ नियमों के मुताबिक वे छत्तीसगढ़ में ड्यूटी के दौरान जख्मी हुए थे. इसलिए उनका इसी अस्पताल में इलाज होना था. खास बात ये है कि इस अस्पताल में वो विशेषज्ञता नहीं है कि उनकी आंत और आंख का जटिल आपरेशन किया जा सके.

चूंकि मनोज गंभीर रुप से घायल थे औऱ उस कंडीशन में उनकी आंत को पेट में ऱखने का आपरेशन किया जाना संभव नहीं था. इसलिए आंत का एक हिस्सा बाहर ही रखा गया. अब उनका इलाज संभव है लेकिन ये इलाज बेहद खर्चीला है औऱ उनके पास न तो इतने पैसे हैं कि वो अपनी आंत का पेट में रखने का इलाज करा सकें औऱ न ही सरकार के पास इतना वक्त की अपने जवान की हालत की सुध ले सके. बस, बेबसी में मनोज आंत को पालीथीन में बांधकर घूमने को मजबूर हैं. ये बेहद रिस्की होने के साथ-साथ उनके लिए बेहद तकलीफदेह है लेकिन जब सरकारें निर्मम हो जाएं तो बहादुर सैनिक बेबस हो जाता है.

मनमोहन सिंह की सुरक्षा में भी रह चुके हैं मनोज तोमर

मनोज तोमर लगातार 8 साल तक देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सुरक्षा में भी रह चुके हैं औऱ देश की सबसे सोफेस्टिकेटेड सुरक्षा सेवा में बेहतरीन काम कर चुके हैं.

मनोज की हालत देखकर हैरान रह गए थे गृह मंत्री राजनाथ सिंह

मनोज बताते हैं कि दो साल पहले बड़ी मुश्किल से गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मिलने गए थे. उस दौरान गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जब उनके पेट में आंतों को पालीथिन में बंधा देखा तो हैरान रह गए थे. मनोज के मुताबिक राजनाथ सिंह ने कहा था कि वे उनको अपनी सांसद निधि से इलाज के लिए 5 लाख रुपये देंगे लेकिन अभी तक राजनाथ सिंह का आश्वासन सिर्फ आश्वासन ही रह गया. उनको कोई मदद नहीं मिली. मनोज ने अपनी मदद के लिए हर दरवाजा खटखटाया लेकिन नेताओं ने देश के इस बहादुर जवान के साथ भी राजनीति खेलने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी. वे केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से भी मिले लेकिन उनकी सिफारिश के बाद भी देश के प्रतिष्ठित अस्पताल एम्स में उनको इलाज तक मयस्सर नहीं हो सका.

क्या है रास्ता 

बकौल मनोज उनको डाक्टरों ने बताया है कि यदि विशेषज्ञों द्वारा किसी स्पेशियालिटी हास्पिटल में उनका इलाज कराया जाय तो आंत को दुबारा पेट में रखा जा सकता है. लेकिन इसमें खर्चा काफी आएगा औऱ बड़ा सवाल है कि उस खर्च को कौन देगा क्योंकि मनोज की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वो उस भारी-भरकम खर्चे को वहन कर सकें.

सिस्टम से आहत है बहादुर जवान

मनोज का कहना है कि उनको अपनी फोर्स यानि सीआरपीएफ से कोई दिक्कत नहीं है बल्कि सिस्टम से है. उनकी शिकायत सरकार से है. वे कहते हैं कि सरकारी नियमों के मुताबिक यदि छत्तीसगढ़ में ड्यूटी के दौरान कोई जवान घायल हुआ है तो उसका उपचार उसी राज्य के अनुबंधित अस्पताल में होगा औऱ नियमों के मुताबिक सरकार का अनुबंध रायपुर के नारायणा अस्पताल से है तो उनको भी इलाज के लिए नारायणा अस्पताल ले जाया गया. जबकि वहां पूरी तौर पर इस दिक्कत का इलाज नहीं हो सकता है. इस परेशानी का इलाज सिर्फ एम्स जैसे सुपर स्पेशियालिटी वाले अस्पतालों में ही संभव है. लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है जिसके चलते उनकी जिंदगी नरक बन गई है. इतना ही नहीं उनको चेक-अप के लिए बराबर रायपुर जाना पड़ता है जिससे उनको खासी परेशानी उठानी पड़ती है.

लल्लूराम डॉट कॉम की अपील

हमारी देश के हर जागरुक नागरिक से अपील है कि इस बहादुर जवान को सिस्टम से इंसाफ दिलाने के लिए हम सब सोशल मीडिया समेत सभी प्लेटफार्म पर इस सैनिक के इलाज की बात जिम्मेदार लोगों तक पहुंचाएं. इस खबर को तब तक प्रचारित और प्रसारित करें जब तक कि इस बहादुर सैनिक को न्याय नहीं मिलता. इस सैनिक के लिए न्याय, इसका बेहतर इलाज होगा. इसलिए ये एक जिम्मेदार औऱ जागरुक नागरिक के तौर पर हमारी भी जिम्मेदारी है कि हम इस बहादुर जवान को उचित इलाज दिलाने में मदद कर सकें. यदि आप में से कोई इस बहादुर जवान की आर्थिक मदद करना चाहता है तो हमें लिखें या बताएं हम आपकी मदद इस जवान तक पहुंचाने का काम करेंगे. उम्मीद है कि सोशल मीडिया जैसे मजबूत प्लेटफार्म पर ये बात हमारे द्वारा मजबूती से रखे जाने के बाद मनोज तोमर जैसे बहादुर सैनिक को बेहतर इलाज जरुर मिलेगा औऱ सरकार औऱ हुक्मरान इस सैनिक की बात जरुर सुनेंगे.