क्रिस्टल भी विभिन्न प्रकार के होते हैं. इसमें जैस्पर नामक कई क्रिस्टल होते हैं. ऐसा ही एक जैस्पर क्रिस्टल है, जिसमें काले और भूरे रंग के बिंदु होते हैं. हम कुत्ते की एक ऐसी नस्ल के बारे में जानते हैं, जिसकी पीठ पर भूरे रंग के धब्बे होते हैं, जिसे डालमेशियन के नाम से जाना जाता है. इसी तरह, इस क्रिस्टल को ‘डेलमेशियन जैस्पर’ कहा जाता है. यह क्रिस्टल अधिकतर मेक्सिको में बड़ी मात्रा में पाया जाता है. जो बहुत उपयोगी है. यह रत्न 21 मई से 21 जून और 23 अगस्त से 22 सितम्बर के बीच जन्म लेने वाले लोगों के लिए बहुत भाग्यशाली साबित होता है.

इस तरह फायदा करता है ‘डेलमेशियन जैस्पर’

इस क्रिस्टल की खासियत यह है कि यह किसी भी रिश्ते को लंबे समय तक ईमानदारी के साथ बरकरार रखता है. इसीलिए इसे चंचल एवं अस्थिर पत्थर के नाम से जाना जाता है.

जिन लोगों के रिश्ते लंबे समय तक नहीं चलते हैं, गलत महसूस करते हैं, या रिश्तों को लेकर झगड़े होते हैं, उन्हें यह पत्थर अपने गले या हाथ में पहनना चाहिए.

जो लोग भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं, जिन्हें कोई रास्ता नहीं मिल पाता और जो नहीं जानते कि क्या करें, इस रत्न को पहनने से उन्हें सही रास्ता खोजने और अपने जीवन को खुशियों से भरने में मदद मिलती है.

जिन पति-पत्नी के बीच बहुत अधिक झगड़े होते हैं, यदि वे दोनों इस रत्न को धारण करें तो उन्हें बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं, क्योंकि यह रत्न शरीर के दाएं और बाएं हिस्से की ऊर्जा को संतुलित करता है और शरीर को आकाशीय ऊर्जा से भर देता है. इस प्रकार, मन, शरीर और आत्मा एकीकृत हो जाते हैं. यह रत्न भौतिक सुख भी लाता है.

जिन लोगों की दोस्ती किसी भी कारण से ईर्ष्या के कारण क्षतिग्रस्त हो गई है या टूट गई है, उन्हें प्यार और स्नेह को बहाल करने के लिए इस पत्थर को पहनना चाहिए, या इस पत्थर से दोनों को ठीक किया जाना चाहिए. ताकि सभी बाधाएं दूर हो जाएं.

यह रत्न मांसपेशियों की समस्या वाले लोगों को भी राहत प्रदान करता है. जो लोग अध्यात्म से जुड़ना चाहते हैं, उनके लिए यह रत्न आध्यात्मिक मार्ग दिखाता है तथा आंतरिक चेतना से जुड़कर आनंद प्रदान करता है.

(Note – यह लेख इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों पर आधारित है, लल्लूराम डॉट कॉम इसकी पुष्टि या समर्थन नहीं करता है.)