Google, टेमासेक और बैन एंड कंपनी द्वारा मंगलवार को जारी एक संयुक्त रिपोर्ट ‘द ई-कोनॉमी ऑफ ए बिलियन कनेक्टेड इंडियंस’ के अनुसार, भारत की इंटरनेट इकोनॉमी 2022 में 175 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक हो सकती है. डिजिटल उत्पादों और सेवाओं के लिए बढ़ती भूख के कारण भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था 2030 तक पांच गुना से अधिक बढ़ने की उम्मीद है.

भारत अपने डिजिटल दशक में

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अपने ‘डिजिटल दशक’ में है. इसकी इंटरनेट इकॉनमी मौजूदा दशक के अंत तक अपने GDP के 12-13% तक बढ़ जाएगी, जो अभी 4-5% पर है. दिन-ब-दिन बढ़ती ऑनलाइन एक्टिविटी, खासकर टीयर-2 शहरों में, ने भारत को दुनिया की कुछ सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से काफी आगे कर दिया है. टेमासेक के मैनेजिंग डायरेक्टर विशेष श्रीवास्तव ने बताया कि मौजूदा समय में भारत वर्ल्ड की GDP के लिए ग्रोथ का नया इंजन है और दुनिया को भारतीय अर्थव्यवस्था से उम्मीदें हैं.

कौन से क्षेत्र किस रफ्तार से बढ़ेंगे

बी2सी : वर्ष 2022 में इस क्षेत्र का आकार 60-65 अरब डॉलर रहा है.  वर्ष 2030 तक इसका आकार पांच से छह गुना की बढ़ोतरी के साथ 350 से 380 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच जाएगा. बी2बी : यहां सबसे ज्यादा 13 से 14 गुना की बढ़ोतरी की संभावना है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक कुल कारोबार 105 से 120 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा.  अभी इसका आकार महज 8-9 अरब डॉलर का है.

सॉफ्टवेयर सेवाएं : सॉफ्टवेयर सेवाओं का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है.  2030 तक इसमें पांच से छह गुना की वृद्धि होगी. कारोबार 65 से 75 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंचेगा. अभी इसका आंकड़ा 12 से 13 अरब डॉलर है.

अनुकूल बन रहे हालात

रोजमर्रा के जीवन में ऑनलाइन गतिविधियां तेजी से बढ़ाने में भारत प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से आगे निकल चुका है. इससे ऑनलाइन सेवाओं का घरेलू उपयोग भी बढ़ रहा है. अधिक से अधिक भारतीय डिजिटल कॉमर्स अपना रहे हैं. द्वितीय व इससे नीचे की श्रेणी में रखे गए शहरों में डिजिटल उत्पादों व सेवाओं की मांग बढ़ी है. आधार, यूपीआई व डिजिलॉकर ने इंटरनेट अर्थव्यवस्था की क्षमताओं को खोलने में मदद की है.