संदीप सिंह ठाकुर, लोरमी। देश में स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, लेकिन लोरमी से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव ऐसा भी है, जहां अबतक बिजली नहीं पहुंच सकी है. हम बात कर रहे हैं वनांचल इलाके में स्थित बिजराकछार गांव की, जहां ग्रामीणों का दर्द इतना ज्यादा है कि वे स्थानीय जनप्रतिनिधि और अधिकारियों से शिकायत करते थक गए हैं, लेकिन उनकी समस्या केवल आश्वासन तक ही सीमित है. बावजूद इसके ग्रामीण अब भी बिजली आने के इंतजार में मायूस बैठे हैं.

पूरा मामला लोरमी विकासखण्ड के बिजराकछार गांव का है. गांव की आबादी 2000 से ऊपर है, वहीं आश्रित गांव को जोड़ लिया जाय तो आंकड़ा 5000 से ऊपर पहुंच जाएगा. लेकिन आज तक यहां बिजली पहुंचना तो दूर खम्भे तक नहीं लगे हैं. ग्रामीण आज भी इस मूलभूत सुविधा के लिए दर-दर भटक रहे हैं. ग्रामीण बताते है कि बिना बिजली के मानो इस गांव का ही विकास रूक सा गया है. यहां कोई कोई बच्चा ही 12वीं तक की पढ़ाई कर पाया है, क्योंकि बिजली नहीं है. रात में पढ़ाई करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. जो पढ़ाई स्कूलों में हो गई, हो गई घर में पढ़ाई हो ही नहीं सकती.

गांव के युवाओं का कहना है कि डिजिटल युग का जमाना आ गया है. मोबाइल तो है, कहीं-कहीं टावर भी मिल जाता है, लेकिन मोबाइल चार्ज करने दूसरे गांव जाना पड़ता है. उनके गांव में बिजली नहीं होने से वो किसी तरह का कोई काम भी नहीं कर पा रहे है. पढ़ाई कर भी लिये हैं तो किस काम का एक फोटोकॉपी कराने के लिए गांव से 5 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. यहां किसी तरह का कोई व्यवसाय नहीं किया जा सकता क्योंकि बिजली ही नहीं है. ग्रामीण बताते है कि सोलर लाइट तो लगी है, लेकिन वो किसी काम की नहीं है. एक घंटे जल जाए या दो घण्टे, उसके बाद पूरी रात अंधेरे में गुजारनी होती है. गर्मी के दिनों में स्थिति और ज्यादा खराब होती है. छोटे-छोटे बच्चे गर्मी में तड़पते रहते हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं.

ऐसा नहीं कि इस गांव में बिजली लगाने के लिए किसी तरह की कोई सरकारी या तकनीकी समस्या आ रही हो. ये वन ग्राम सामान्य वन ग्राम है. इस गांव के 2 किलोमीटर पहले और 4 किलोमीटर आगे लाइट है. इस गांव में खम्भा लगाने के लिए साल भर पहले सर्वे भी हो चुका है, लेकिन इसके बाद काम कागजों में अटक गया है. अब बस गांव वालों को बिजली का इंतजार है. किसानों के लिए भी बड़ी समस्या है वे पूरी तरह से मानसून की वर्षा पर ही निर्भर हैं. अच्छी बारिश हो गई तो फसल अच्छी नहीं तो फसल बर्बाद. यहां बिजली आ जाये तो किसान अपने खेतों में ट्यूबवेल करा कर डबल फसल लेकर अपनी आमदनी दोगुनी कर सकते हैं.

वहीं इस गांव में पूरे आसपास के क्षेत्रों के लिए आयुष्मान भारत योजना के तहत उप स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया है स्टाफ तो है सारे संसाधन भी है बिल्डिंग भी नई बन गई बेड है पंखा है बिजली से चलने वाले उपकरण भी लगे है बस बिजली नही है बिजली का इंतजार है. इस स्वास्थ्य केंद की नर्स प्रीतम राजपूत ने बताया कि यहां आसपास के 10 गांव से लोग आते हैं. महिलाओं की डिलवरी यहां कराई जा सकती है, लेकिन लाइट नहीं होने की स्थिति में उनको रेफर करना पड़ता है. ऐसी स्थिति में कई बार महिला की स्थिति खराब होने पर दुर्घटना भी घट जाती है. यहां अगर बिजली आ जाती है तो यहां के ग्रामीणों की जांच और महिलाओं की डिलवरी भी यहां कराई जा सकती है.

वनग्राम बिजराकछार में बिजली की समस्या को लेकर पंचायत के सरपंच प्रतिनिधि ललित साहू ने कांग्रेस जिलाध्यक्ष से गांव में बिजली लाने की मांग की थी. जिलाध्यक्ष सागर सिंह ने बताया कि वनग्राम में बिजली की समस्या को लेकर जिले के प्रभारी मंत्री गुरु रूद्रकुमार से बात हुई है, जिस पर मंत्री ने कलेक्टर को समस्या का निदान करने के लिए निर्देशित किये हैं. वहीं लोरमी एसडीएम ने इस मामले में कहा कि क्रेडा विभाग द्वारा वहां सोलर पैनल लगाकर बिजली बहाल की जाएगी. लेकिन रेगुलर बिजली के लिए शासन स्तर से पहल की जाएगी, जिसके लिए कोशिश की जाएगी.

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