दिल्ली. एक तरफ चुनाव की गहमागहमी तो दूसरी ओर ईवीएम टेंपरिंग की अफवाहों का गर्म बाजार। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा था मध्यप्रदेश के मुख्य चुनाव आयुक्त वीएल कांता राव पर काम का दबाव बढ़ता जा रहा था। चुनाव का परिणाम आने में बस चार दिन बचे थे।

वो 7 दिसंबर की सुबह थी। राजस्थान और तेलंगाना में लोग वोट डालने के लिए लाइनों में खड़े थे। उधर, मध्यप्रदेश में ईवीएम की सुरक्षा को लेकर नित नई अफवाहें और ख़बरें सामने आ रही थीं। इसी बीच कांता राव को घर से एक दुखद ख़बर मिली। पता लगा कि उनके पिता का स्वर्गवास हो गया है। एक तरफ जिम्मेदारी थी तो दूसरी तरफ एक बेटे का फर्ज पुकार रहा था।

कांता राव अगले डेढ़ घंटे बाद इंदौर से भोपाल के लिए निकल चुके थे ताकि जितनी जल्दी हो घर (हैदराबाद) पहुंचा जाए। घर पहुंचे, बेटा होने के सारे फर्ज अदा किए और 9 तारीख की रात को फिर से भोपाल लौट आए।

पत्रकारों से बातचीत में राव ने बताया, ’28 नवंबर को जब वोटिंग खत्म हुई तो मैं सोच रहा था कि हमने बहुत अच्छा किया है लेकिन हमारी मुसीबतें उसके बाद शुरू हुईं।’ कांता राव का इशारा ईवीएम से छेड़छाड़ की ख़बरें और अफवाहें फैलने की ओर था। राव बताते हैं कि वे अब 16 दिसंबर को अपने पैतृक गांव जाएंगे ताकि दसवें दिन के रीति-रिवाज पूरे सकें।

फर्ज और जिम्मेदारी के प्रति लग्न के चलते कांता राव की सोशल मीडिया में जमकर तारीफ हो रही है। आइएएस एसोसिएशन ने भी उनके इस कार्य की तारीफ की है।